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चल चला चल : कॉमेडी के नाम पर ट्रेजेडी

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निर्माता : माना शेट्टी, जीपी विजय, धर्मेश रोजकोटिया
निर्देशक : राजीव कुमार
संगीत : अनु मलिक, आनंद राज आनंद
कलाकार : गोविंदा, रीमा सेन, राजपाल यादव, असरानी, मनोज जोशी, उपासना सिंह, अमिता नांगिया, ओम पुरी, मुरली शर्मा, रज्जाक खान, आसिफ बसरा


‘चल चला चल’ फिल्म में कुछ भी सही नहीं है। खराब निर्देशन, घटिया स्क्रिप्ट, फिल्म का संपादन करने वाला लगता है कि छुट्टियों पर चला गया और सारे कलाकार अभिनय के नाम पर चीखते-चिल्लाते रहे। कहने को तो ये कॉमेडी फिल्म है, लेकिन इसे देखना किसी ट्रेजेडी से कम नहीं है। फिल्म की कहानी 35-40 वर्ष पुरानी लगती है, परंतु ये फिल्म तब भी प्रदर्शित होती तो भी फ्लॉप होती।

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दीपक (गोविंदा) इसलिए नौकरी बदलता रहता है क्योंकि वह भ्रष्ट व्यवस्था के आगे झुकना नहीं चाहता। वह अपने पिता (ओमपुरी) की मदद करता है, जो एक कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। वे जिस स्कूल में काम करते थे, उसने उनका प्राविडेंट फंड और पेंशन रोक रखी है।

आखिरकार वे मुकदमा जीत जाते हैं और स्कूल को पैसे देने का आदेश मिलता है। स्कूल के पास फंड नहीं है और उन्हें एक बस मिलती है। दीपक के पिता कहते हैं कि बस को बेचने के बजाय वे उसे चलाएँ, हालाँकि परिवार के अन्य सदस्यों को यह मंजूर नहीं है। दीपक का दोस्त सुंदर (राजपाल यादव) और दीपक मिलकर ‘चल चला चल ट्रांसपोर्ट’ कंपनी बनाते हैं और बस चलाते हैं। इसके बाद कई नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिलते हैं।

इस फिल्म को बर्दाश्त करने के लिए बहुत हिम्मत चाहिए। कहानी के नाम पर कुछ नहीं है। फिल्म की एडिटिंग इतनी खराब है कि ऐसा महसूस होता है कि प्रोजेक्शन रूम में रीलों की अदला-बदली हो गई है।

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गोविंदा को एक सलाह है, अपनी उम्र के मुताबिक भूमिका निभाएँ। उन्हें अब इस तरह के रोल से बचना चाहिए। राजपाल यादव भी महत्वहीन भूमिका में दिखाई दिए। ओम पुरी ने यह फिल्म क्यों स्वीकारी? असरानी, मनोज जोशी, रज्जाक खान, उपासना सिंह और रीमा सेन ने अभिनय के नाम पर खानापूर्ति की है।

कुल मिलाकर ‘चल चला चल’ हर लिहाज से घटिया फिल्म है।

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