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जाने कहाँ से आई है : कैमरे से लिखा गया व्यंग्य और हास्य

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अनहद

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बैनर : पीपल ट्री फिल्म्स प्रा.लि., वॉर्नर ब्रॉस
निर्माता : मुकेश तलरेजा और निखिल आडवाणी
लेखन-निर्देशन : मिलाप ज़वेरी
संगीत : साजिद-वाजिद
कलाकार : रितेश देशमुख, जैकलीन फर्नांडिस, विशाल मल्होत्रा, सोनल सहगल, रसलान मुमताज, फरहा खान-प्रियंका चोपड़ा-अक्षय कुमार (मेहमान कलाकार)

"जाने कहाँ से आई है" देखते हुए मुस्कुराहट चेहरे पर तभी आ जाती है जब फिल्म शुरू होते ही आप अँगरेजी में लिखी हुई यह आम सूचना पढ़ते हैं - "यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक है। किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति "अथवा एलियन" से इस कहानी का कोई ताल्लुक नहीं है।"

निर्देशक मिलाप जवेरी ने व्यंग्य किया है फालतू में मुकदमेबाजी करने वालों पर और बताया है कि लोग उनसे इतना डरते हैं कि फिल्म की कहानी में एलियन होने पर एलियन के बारे में भी सफाई दे दी है। क्या पता कल को कोई एलियन उठकर मुकदमा लगा दे कि आपने मेरी जिंदगी पर मुझसे बिना पूछे और बिना सफाई दिए फिल्म क्यों बनाई, अब लाओ हर्जाना निकालो। तो ऐसा होने से पहले यही ठीक है कि कानूनी सूचना के मसौदे में एलियन को भी जोड़ लिया जाए।

एक खेल दर्शकों से टाइटल देते समय भी खेला जाता है। एक नाम आता है पर्दे के दाएँ तरफ एकदम ऊपर। दर्शक की गर्दन ऊपर तक जाती है। फिर एक नाम आता है बाईं तरफ बिलकुल नीचे। गर्दन फिर घूमकर नीचे तक आती है। आधे मिनट बाद दर्शक फिर मुस्कुरा देता है और समझ जाता है कि निर्देशक चुस्त है। फिल्म ठीकठाक निकल सकती है। और होता भी ऐसा ही है।

फिल्म दिलचस्प फैंटेसी हैं। हालाँकि परफेक्ट नहीं है, पर बाँधे रखती है और बहुत जगह दिल को छूती भी है। व्यंग्य तो इसमें बहुत है। जहाँ भी मौका मिला जवेरी चूके नहीं हैं। इसमें मदद की है मेहमान कलाकार फराह खान ने, साजिद खान ने, अक्षय कुमार ने, प्रियंका चोपड़ा ने और करण जौहर ने।

सुपरस्टार देश (रसलान मुमताज) का कैरेक्टर सेट करते हुए ये सभी पर्दे पर आते हैं। फराह के जरिए मीडिया पर व्यंग्य किया गया है, जो फराह और शाहरुख के झगड़े की खबर उड़ा रहा था। अक्षय कुमार के जरिए एक-दूसरे से दुश्मनी रखने वाले सितारों पर व्यंग्य किया गया है।

बहरहाल फिल्म में एक दुर्घटना यह घटी है कि हीरो से ज्यादा मजबूत कैरेक्टर देश का डेवलप हो गया है। रसलान मुमताज लगे भी बहुत खूबसूरत डैशिंग और हैंडसम हैं। एलियन "तारा" यानी जैकलीन फर्नांडीस का कैरेक्टर भी रितेश देशमुख से अधिक मजबूत है। यहाँ तक कि साइड हीरो तिवारी (विशाल मल्होत्रा) का कैरेक्टर भी हीरो से अधिक ताकतवर है।

बहरहाल, इससे फिल्म की दिलचस्पी पर कोई फर्क नहीं पड़ता। नायक एक फिल्म लाइन में थर्ड असिस्टेंट डायरेक्टर है (मगर महँगी कार चलाता है, अमीर माता-पिता के साथ बंगले में रहता है)।

नायक को बचपन से ही लड़कियाँ नापसंद करती आई हैं। फिर एक दिन एक एलियन आकर गोद में गिर जाती है। ये वीनस से है। बिलकुल आम लड़की जैसी है, मगर नहीं जानती कि प्यार क्या होता। प्यार जानने आई है। वास्तविक जीवन में जैक्लीन को हिन्दी नहीं आती, उच्चारण खराब है। इसी का फायदा निर्देशक ने उन्हें एलियन का कैरेक्टर देकर उठाया है।

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जैक्लीन की मासूमियत बला की है। पहली फिल्म (अलादीन) में तो घामड़ निर्देशक और कैमरामैन जैक्लीन की खूबसूरती को पकड़ ही नहीं पाए थे। पूरी फिल्म हँसी के साथ चलती है और अंत में रोमांटिक हो जाती है। पटकथा में मंजाई और होती तो यह फिल्म बहुत ही मजेदार बन सकती थी। पहली बार एलियन अजीबोगरीब नहीं बनाया गया है। वैसे ये किसी अँगरेजी फिल्म की नकल है। मगर अच्छी नकल है। कभी-कभी कोई अनुवाद ऐसा हो जाता है कि अच्छा बन पड़ता है।

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