द ए-टीम : प्लान में दम, कामयाब हम
बैनर : ट्वेंटीथ सेंचुरी फॉक्स फिल्म कॉर्पोरेशननिर्देशक : जो कार्नाहन कलाकार : लियाम नीसन, ब्रेडले कूपर, जेसिका बिएल, शार्लटो कॉपले, पेट्रिक विल्सनए सर्टिफिकेट * 118 मिनटरेटिंग : 3/5‘द ए-टीम’ का निर्माण एक्शन प्रेमियों के लिए किया गया है। कहानी और स्क्रीनप्ले कुछ इस अंदाज में लिखा गया है कि ज्यादा से ज्यादा एक्शन दृश्यों की गुंजाइश हो और इसके लिए कई बातों को भी नजरअंदाज किया गया है। जो दर्शक एक्शन फिल्म के शौकीन हैं, उन्हें यह फिल्म जरूर पसंद आएगी। टीवी शो ‘ए टीम’ पर आधारित यह फिल्म चार किरदारों के इर्दगिर्द घूमती है, जो सही मायनो में खतरों के खिलाड़ी हैं। जितना ज्यादा जोखिम हो, कठिन काम हो उतना ही उन्हें मजा आता है। सेना में ये उन कामों को भी कर दिखाते हैं जिनका इन्हें ऑर्डर नहीं है और इस वजह से अन्य लोग इनसे ईर्ष्या करते हैं।
इराक से वापसी के दौरान ‘द ए टीम’ षड्यंत्र का शिकार हो जाती है। कर्नल जॉन स्मिथ (लियाम नीसन), फेसमैन पैक (ब्रेडले कूपर), बीए बारकस (क्विंटन जैकसन) और मडरॉक (शार्लटो कॉपले) को अलग-अलग जेल में बंद कर दिया जाता है। चारिसा सोसा (जेसिका बिएल) जो कि एक सैनिक है को इन पर निगाह रखने का जिम्मा सौंपा जाता है। फेसमैन और सोसा कभी एक-दूसरे को पसंद करते थे। इस टीम को जेल में ज्यादा दिन नहीं रखा जा सका और चारों जेल से भाग निकलते हैं ताकि उस आदमी का पता लगा सके, जिसके कारण उन्हें सजा हुई। उनका प्लान सफल रहता है और अंत में वे कामयाब हो जाते हैं। फिल्म की कहानी बेहद साधारण है और एक्शन दृश्यों को ध्यान में रखकर लिखी गई है। निश्चित रूप से ये एक्शन दृश्य फिल्म का प्रमुख आकर्षण हैं और बेहतरीन तरीके से शूट किए गए हैं। निर्देशक जो कार्नाहन फिल्म की गति बेहद तेज रखी गई है ताकि दर्शकों को ज्यादा सोचने का अवसर नहीं मिले। हालाँकि स्क्रीनप्ले में खामियाँ हैं। कई दृश्य अविश्वसनीय हैं, लेकिन मनोरंजन पक्ष भारी होने के कारण इन्हें अनदेखा किया जा सकता है। एक्शन की भरमार होने के बावजूद फिल्म को हल्के-फुल्के अंदाज में पेश किया गया है और राहत प्रदान करने वाले दृश्य लगातार बीच में आते रहते हैं। चारों किरदारों पर मेहनत की गई है। हर किसी का मिजाज एक-दूसरे से जुदा है। जॉन स्मिथ इस टीम के कैप्टन हैं जो धीर-गंभीर हैं और हर योजना को ठीक से लागू करते हैं। फेसमैन रंगीन मिजाज हैं और लड़कियाँ उसकी कमजोरी।
दिमाग के बजाय हाथ-पैर ज्यादा चलाने वाला बीए फिल्म के मध्य में गाँधीजी से प्रभावित होकर अहिंसा पर विश्वास करने लगता है। मडरॉक एक पॉयलट है और दर्शकों को हँसाने के लिए वे कई हरकतें करता है। उसकी और बीए की नोंकझोक बेहतरीन है। सभी कलाकारों ने अपना काम बेहतरीन तरीके से किया है।कम्प्यूटर ग्राफिक्स के मामले में फिल्म कमजोर नजर आती है और कई दृश्यों में बनावटीपन झलकता है, खासतौर पर क्लाइमैक्स में, जो कुछ ज्यादा ही लंबा हो गया है।कुल मिलाकर ‘द ए टीम’ में इतना दम है कि दर्शकों को बाँधकर उनका मनोरंजन करे।