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नॉट ए लव स्टोरी :‍ फिल्म समीक्षा

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समय ताम्रकर

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निर्माता : सुनील बोहरा, शैलेश आर सिंह
निर्देशक : रामगोपाल वर्मा
संगीत : संदीप चौटा
कलाकार : माही गिल, दीपक डोब्रियाल, अजय गेही, जाकिर हुसैन
सेंसर सर्टिफिकेट : ए * 1 घंटा 49 मिनट * 8 रील
रेटिंग : 3/5

प्यार और परिस्थितियों की वजह से कई बार इंसान ऐसी हरकत कर देता है जो उसने कभी सोची भी नहीं होती। चींटी नहीं मारने वाला इंसान परिस्थितिवश किसी व्यक्ति की न केवल हत्या कर सकता है बल्कि उसके बाद लाश के छोटे-छोटे भी टुकड़े कर देता है।

‘नॉट ए लव स्टोरी’ में अपनी गर्लफ्रेंड अनुषा (माही गिल) को फिल्म मिलने की खुशी में रॉबिन (दीपक डोब्रियाल) उसे सरप्राइज देने मुंबई चला आया। आशीष (अजय गेही) के साथ रात गुजारने वाली अनुषा दरवाजे पर रॉबिन को देख घबरा जाती है क्योंकि उसके बेडरुम में आशीष नग्न अवस्था में सोया है।

उसके पास दस सेकंड से भी कम समय का वक्त है क्योंकि आशीष जाग कर बेडरूम से बाहर निकल आया है। ऐसी परिस्थिति में दरवाजा खोल कर रॉबिन को वह झूठ बोल देती है कि आशीष ने उसके साथ जोर-जबरदस्ती की है।

अनुषा के प्यार में दीवाना रॉबिन गुस्से से पागल हो जाता है और बिना सोचे-समझे वह आशीष की हत्या कर देता है। लाश के सामने वे सेक्स करते हैं। चंद मिनट का यह दृश्य हिला कर रख देता है और सोचने पर मजबूर करता है कि परिस्थितिवश इंसान को हैवान में बदलते देर नहीं लगती।

नीरज ग्रोवर हत्याकांड से प्रेरित होकर रामगोपाल वर्मा ने यह फिल्म बनाई है। हकीकत में चूंकि यह घटना हुई है, इसलिए यह फिल्म विश्वसनीय लगती है। पूरी फिल्म चार भागों में बंटी हुई है।

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हत्या के पहले वाला भाग जिसमें अनुषा हीरोइन बनने के लिए संघर्ष कर रही है, थोड़ा कमजोर है। हत्या वाला दृश्य, जबरदस्त है। हत्या के बाद लाश को ठिकाने लगाना और फिर पुलिस के गिरफ्त में आना, रोचक है। इसके बाद कोर्ट वाले दृश्य, थोड़ा ड्रामेटिक है, लेकिन हर भाग पर निर्देशक का दबदबा नजर आता है।

प्यार में आदमी कैसे रूप बदलता है इसकी मिसाल कोर्ट वाले दृश्यों में देखने ‍को मिलती है। रॉबिन और अनुषा दोनों फंस चुके हैं। अपने आपको बचाने के लिए वे प्यार-व्यार भूल जाते हैं और अपने-अपने वकीलों के मार्फत एक-दूसरे को दोषी ठहराते हैं।

अनुषा यह सब नहीं देख पाती क्योंकि उसके अंदर रॉबिन के प्रति प्यार फिर जाग जाता है। वह रॉबिन के सामने अपनी गलती स्वीकारती है और रॉबिन उसे चुंबन देकर एक-तरह से माफ कर देता है।

पात्रों की मनोदशा को परदे पर उतारना आसान काम नहीं है। रॉबिन और अनुषा के प्यार की त्रीवता और हत्या के बाद का भय रामू ने इस कदर फिल्माया है कि पात्रों के दर्द, प्यार और डर को दर्शक महसूस करता है।

बहुत दिनों बाद रामू ने अपने निर्देशन का कमाल दिखाया है। हाल ही के वर्षों में यह उनका श्रेष्ठ काम है। इस फिल्म ने उस रामू की याद दिला दी जो कभी रंगीला, सत्या, भूत जैसी फिल्में बनाया करता था।

निर्देशक ने घटना को जस का तस पेश करने की कोशिश की है और अपनी तरफ से किसी का पक्ष नहीं लिया है। फिल्म में आगे क्या होने वाला है, ये सबको पता है, लेकिन उम्दा प्रस्तुतिकरण के कारण फिल्म थ्रिलर जैसी लगती है।

फिल्म का ओपन एंड कुछ लोगों को अखर सकता है। फिल्म को दो-तीन लोकेशन्स पर फिल्माया गया है और ज्यादा किरदार भी नहीं हैं, इसके बावजूद भी नीरसता हावी नहीं होती है।

दीपक डोब्रियाल ने जुनूनी प्रेमी का किरदार अच्छे से निभाया है, हांलाकि ज्यादातर वक्त उनके एक्सप्रेशन एक जैसे रहे हैं। माही गिल सब पर भारी पड़ती हैं। लाश के टुकड़े किए जा रहे हैं और कैमरा माही के चेहरे पर है। इस सीन में भय, घृणा, ग्लानि जैसे कई एक्सप्रेशन माही ने अपने चेहरे के जरिये दिए हैं। पुलिस इंसपेक्टर के रूप में जाकिर हुसैन अपनी छाप छोड़ते हैं।

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फिल्म की लागत कम करने के लिए रामगोपाल वर्मा ने डॉयरेक्टर ऑफ फोटोग्राफी को नहीं रखा और केनन 5 डी से फिल्म को शूट किया है। कैमरे एंगल्स फिल्म को अलग ही लुक देते हैं। रियल लोकेशन्स और कम से कम क्रू मेंबर रखने की वजह से फिल्म बहुत कम लागत में बनी है। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक उम्दा है।

फिल्म का नाम भले ही नॉट ए लव स्टोरी हो, लेकिन इसमें एक लव स्टोरी छिपी हुई है और इसी प्यार के कारण दोनों प्रेमी क्रूरतापूर्वक अपने अपराध को अंजाम देते हैं।

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