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प्रिंस ऑफ पर्शिया : द सेंड्‍स ऑफ टाइम – फिल्म समीक्षा

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समय ताम्रकर

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निर्देशक : माइक नेवेले
कलाकार : जेक जिलेनहाल, जेमा आरर्टन, बेन किंग्सले, अल्फ्रेड मोलिना, रोनाल्ड पिकअप
यू/ए * 1 घंटा 56 मिनट
रेटिंग : 2.5/5

वीडियो गेम पर आधारित ’प्रिस ऑफ पर्शिया’ की कहानी भारतीय दर्शकों को पसंद आ सकती है क्योंकि इसमें बहादुर राजकुमार है, खूबसूरत राजकुमारी है, सुल्तान बनने के लिए साजिश है और दुनिया को नष्ट होने से बचाने के लिए मजबूत इरादे हैं।

दास्तान (जेक जिलेनहाल) की बहादुरी से प्रभावित होकर पर्शिया के सुल्तान (रोनाल्ड पिकअप) ने उसे अपना बेटा बना लिया। सुल्तान के बेटों से दास्तान की नहीं बनती। उसे अपने अंकल और सुल्तान के भाई निजाम (बेन किंग्सले) पर विश्वास है जो खुद सुल्तान बनना चाहता है।

निजाम उस खंजर की तलाश में है, जिसके जरिये वह अतीत में जाकर घटनाक्रम को बदल खुद सुल्तान बनना चाहता है। वो खंजर एक पवित्र शहर की राजकुमारी तामिना (जेमा आर्टरटन) के पास है। ‍निजाम उस शहर पर दास्तान के साथ हमला करता है।

एक साजिश के तहत वो सुल्तान की हत्या कर देता है और इसका दोष दास्तान पर आता है। तामिना के साथ मिलकर दास्तान न केवल अपने आपको बेगुनाह साबित करता है बल्कि वो उस खंजर की रक्षा भी करता है जिसे निजाम पाना चाहता है।

इस कहानी को निर्देशक माइक नेवेल ने हल्के-फुल्के अंदाज में पेश किया है। फिल्म का हीरो लाइट मूड में रहता है जिसका असर फिल्म पर भी नजर आता है और वो बोझिल नहीं लगती।

यदि खंजर और उसकी रक्षा वाले दृश्यों को ठीक से एडिट किया जाता तो दर्शकों को बोर होने से बचाया जा सकता था। ये दृश्य बेहद लंबे हैं और इनमें दोहराव भी है। साथ ही इनमें स्पेशल इफेक्ट्‍स भी कुछ खास नहीं है। स्पेशल इफेक्ट्‍स की कमियाँ क्लाइमैक्स में भी उजागर होती हैं।

चूँकि फिल्म की कहानी में वर्षों पुराना समय दिखाया गया है इसलिए तलवारबाजी, तीर कमान, साँप और घोड़ों का उपयोग जमकर किया गया है। नवीनता नहीं होने के बावजूद फिल्म का एक्शन अच्छा लगता है। फिल्म में भव्यता नजर नहीं आती है और सेट नकली लगते हैं।

सेसो और शेख अमर (एल्फ्रेड मोलिना) के किरदार बीच-बीच में आकर हँसने का अवसर देकर दर्शकों को राहत प्रदान करते हैं।

दास्तान बने जेक जिलेनहाल ने एक जिमनास्ट की तरह एक्शन किए हैं। अभिनय के लिहाज से भी उनका काम ठीक है। जेमा आर्टरटन ने एक राजकुमारी के घमंड को बेहतरीन तरह से पेश किया है। प्रिंस और प्रिंसेस के बीच की कैमेस्ट्री जेमा और जेक की जोड़ी में नजर आती है। बेन किंग्सले के अभिनय को देख ऐसा लगता है जैसे उन्होंने बेमन से काम किया हो।

कुल मिलाकर ‘प्रिंस ऑफ पर्शिया : द सेंड्‍स ऑफ टाइम’ लंबे समय तक याद रखी जाने वाली फिल्म न होकर टाइम पास मूवी है।

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