निर्देशक : रूपर्ट व्यॉट
लेखक : पियरे बॉयूल
कलाकार : जेम्स फ्रैंको, एंडी सर्किस और फ्रीडा पिंटो
रेटिंग : 3.5/5
मनुष्यों द्वारा जानवरों पर किए जाने वाले परिक्षणों का खुद मानव जाति पर क्या असर हो सकता है इसकी कल्पना साइंस फिक्शन फिल्मों के जरिए खूब बयान की गई है। इसी विषय पर बनी फिल्म 'राइज ऑफ प्लैनेट ऑफ द एप्स' में कहानी शुरू होती है सैन फ्रांसिस्को में वर्तमान दिन से जहां मनुष्य बन्दरों पर जेनेटिक इंजीनियरिंग के प्रयोग कर रहा है। फ्रेंच उपन्यास "ला प्लेनेट डेस इंगीस' पर आधारित इस फिल्म में जेम्स फ्रैंको ने विल रोडमैन नामक वैज्ञानिक का किरदार निभाया है। विल अल्जाइमर बीमारी का इलाज ढूढ़ने के लिए बंदरों पर विभिन्न प्रकार के परीक्षण करता है। इस परीक्षण के लिए एक खास चिम्पांजी सीजर (एंडी सर्किस) को चुना जाता है। दवा के प्रयोग से सीजर में कई आनुवांशिक बदलाव हो जाते हैं। सीजर में बुद्धि का विकास हो जाता है और मानवीय गुण जैसे प्यार, गुस्सा और स्वार्थ भी आ जाता है। पर एक दिन सीजर के नियंत्रण से बाहर होने पर उसे कैद कर दिया जाता है। पर अपनी विकसित बुद्धि से वह पिंजरे से निकल भागने में कामयाब होता है। सीजर अपने साथ बंद वानरों को भी दवा का इस्तेमाल कर अपने जैसा बना लेता है। अल्जाइमर के इलाज के लिए किए जा रहे एक प्रयोग से वानरों में बुद्धि का विकास होता है और शुरू होता है मनुष्य और वानरों के बीच नेतृत्व और वर्चस्व के लिए एक युद्ध। फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स बेहद शानदार हैं। गोल्डन ब्रिज पर बंदरों से मुठभेड़ वास्तविक लगती है। उड़ते हेलिकॉप्टर पर भारीभरकम गोरिल्ला का छलांग मारकर हमला करना गले नहीं उतरता पर फिल्म की तेज गति में दर्शकों को एकाएक इसका पता नहीं चलता। इस फिल्म को तीन भारतीय भाषाओं - हिंदी, तमिल और तेलुगु में डब किया गया है। हिंदी में इस फिल्म को विनाश का आरंभ नाम से प्रदर्शित किया गया है। कुल मिलाकर अगर आप साइंस फिक्शन फिल्मों के शौकीन हैं तो यह फिल्म आपको निराश नहीं करेगी। पर वास्तविकता में रुचि रखने वालों को शायद इस फिल्म के कुछ दृश्य हजम नहीं होंगे।