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रॉकेट सिंह : टॉरगेट से दूर

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हमें फॉलो करें रॉकेट सिंह

समय ताम्रकर

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बैनर : यश राज फिल्म्स
निर्माता : आदित्य चोपड़ा
निर्देशक : शिमीत अमीन
गीत : जयदीप साहनी
संगीत : सलीम मर्चेण्ट, सुलेमान मर्चेण्ट
कलाकार : रणबीर कपूर, शाजान पद्मसी, गौहर खान
यू/ए * 2 घंटे 32 मिनट
रेटिंग : 2.5/5

वर्तमान दौर में इस तथ्य को स्वीकार लिया गया है कि भ्रष्ट हुए बिना बिज़नेस नहीं किया जा सकता है। भ्रष्टाचार, बिज़नेस का पर्यायवाची शब्द बन चुका है। कस्टमर में ही मर शब्द छिपा हुआ है इसलिए ग्राहक की जेब पर ऐसा डाका डाला जाता है कि बेचारा मर ही जाता है। लेकिन जयदीप साहनी द्वारा लिखित और शिमित अमीन द्वारा निर्देशित फिल्म यह संदेश देती है कि बिना रिश्वत दिए, बिना भ्रष्ट हुए, अपनी मेहनत और लगन के जरिये भी सफलतापूर्वक व्यापार किया जा सकता है।

हरप्रीत सिंह बेदी (रणबीर कपूर) 38.72 प्रतिशत नंबरों से ग्रेजुएट हुआ है और उसने फैसला कर लिया है कि वह सेल्स की दुनिया में जाएगा। अब हर कोई तो डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बन सकता। कम्प्यूटर बेचने वाली कंपनी एट योअर सर्विस (एवायएस) में वह इंटरव्यू देने जाता है। उससे कहा जाता है कि वह अपने आपको बेचकर दिखाए, जिसमें हरप्रीत असफल हो जाता है। लेकिन कंपनी के मालिक को उसमें उसे दम नजर आता है और हरप्रीत को नौकरी मिल जाती है।

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पहली बार कम्प्यूटर बेचने हरप्रीत एक बड़ी कंपनी में जाता है और वहाँ काम करने वाला कर्मचारी उससे अपना कमीशन माँगता है। ईमानदार हरप्रीत को यह बात अखरती है और वह उसके खिलाफ शिकायत कर देता है। यह बात हरप्रीत के बॉस को नाराज करने देने के लिए काफी थी, जो उसे बेहद जलील करते हुए ‘जीरो’ कहता है। साथ काम करने वाले कर्मचारी उसे कागज के रॉकेट मारकर चिढ़ाते हैं।

एक दिन हरप्रीत को दो कम्प्यूटर सप्लाय करने का ऑर्डर मिलता है, जो वह व्यक्तिगत रूप से बेच देता है। उसे तब पता चलता है कि उसकी कंपनी अपने ग्राहकों को कितना लूट रही है। वह कंपनी के समानांतर अपनी कंपनी ‘रॉकेट सेल्स कॉर्पोरेशन’ बना लेता है, जिसमें वह कुछ और कर्मचारियों को शामिल कर लेता है।

हरप्रीत की कंपनी कम मुनाफा, बेहतर सर्विस और ईमानदारी के साथ काम करती है और एवायएस कंपनी को टक्कर देती है। आखिर में हरप्रीत और उसके साथियों का भेद खुल जाता है और उनकी कंपनी को हरप्रीत का बॉस सुनील पुरी खरीद लेता है। हरप्रीत बेचारा सड़क पर आ जाता है, लेकिन उसके बनाए ग्राहक सुनील की कंपनी से संतुष्ट नहीं होते। अंत में वह हरप्रीत से अपनी हार मानकर उसकी कंपनी लौटा देता है।

जयदीप साहनी द्वारा लिखा गया स्क्रीन प्ले एक कंपनी की काम करने की शैली और वातावरण को सूक्ष्मता के साथ पेश करता है। किस तरह काम करने वाले कर्मचारियों में आपस में ईर्ष्या और प्रतिद्वंद्विता रहती है। किस तरह एक बॉस इंसानियत भूलकर अपने कर्मचारियों पर सेल्स टॉरगेट के जरिये दबाव डालता रहता है। साथ ही ईमानदारी, परस्पर विश्वास और भ्रष्ट हुए बिना भी व्यापार में सफल हुआ जा सकता है, यह बात भी फिल्म कहती है। लेकिन जो बात फिल्म के खिलाफ जाती है वो है इसकी लंबाई और रुखापन। संदेश के साथ यदि मनोरंजन भी हो तो फिल्म का महत्व बढ़ जाता है, लेकिन ‘रॉकेट सिंह’ में मनोरंजन की अनदेखी की गई है।

इंटरवल के पहले फिल्म धीमी रफ्तार से रेंगती है। बिजनेस दुनिया की जो हलचल दिखाई गई है वो बेहद उबाऊ है। एक ही ऑफिस में अधिकांश दृश्य फिल्माए गए हैं, जो राहत नहीं प्रदान करते। फिल्म में एक्शन कम और संवाद ज्यादा है, इसलिए इसकी लंबाई अखरती है। इंटरवल के बाद जब हरप्रीत अपनी समानांतर कंपनी आरंभ करता है तब फिल्म में थोड़ी पकड़ आती है।

हरप्रीत को सच्चा और ईमानदार दिखाया गया है, लेकिन क्या वह जिस कंपनी में काम करता है उसमें काम करते हुए समानांतर कंपनी खोलकर बेईमानी नहीं करता? बेहतर होता वह नौकरी छोड़कर अपना व्यवसाय करता। या फिल्म में उसके इस कदम को उचित बताने के कुछ ठोस कारण बतलाए जाते। उसका यह कदम दर्शकों के मन में कन्फ्यूजन पैदा करता है। वह अपने व्यवसाय के लिए कंपनी के फोन का इस्तेमाल करता है। इसके बजाय वह अपना मोबाइल का प्रयोग करता तो उसके पकड़ाए जाने के संभावना कम रहती। फिल्म में यदि थोड़े परिचित चेहरे लिए जाते तो बेहतर होता।

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रणबीर का अभिनय फिल्म दर फिल्म निखरता जा रहा है। हरप्रीत के किरदार को उन्होंने बेहतरीन तरीके से समझकर पर्दे पर पेश किया। वे रणबीर कम और हरप्रीत ज्यादा लगे। शाजान पद्मसी को करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं था और वे प्रभावित नहीं कर पाईं। गौहर खान ने बेहतरीन अभिनय किया है। गिरी बने डी. संतोष, नितिन राठौर बने नवीन कौशिक और छोटेलाल बने मुकेश भट्ट ने भी अपने किरदारों को जीवंत किया है।

फिल्म का संगीत निराशाजनक है, शायद इसीलिए एक भी गाने को फिल्म में शामिल नहीं किया गया है। फिल्म के संवाद अच्छे हैं।

कुल मिलाकर ‘रॉकेट सिंह - सेल्समैन ऑफ द ईयर’ एक ईमानदार प्रयास है, लेकिन यह अपने टॉरगेट से थोड़दूर रगई।

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