रजनीश राज ठाकुर द्वारा निर्देशत फिल्म लूट ऐसे समय में रिलीज हुई है, जब इस तरह की फिल्मों के लिए दर्शक मिलना मुश्किल हैं। अगर यह फिल्म कुछ सालों पहले बनती तो कमियों के बावजूद इसे सफलता मिल सकती थी।
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लूट में कहानी के नाम पर तो खैर कुछ है ही नहीं। पुरानी मसाला फिल्मों से जोड़तोड़ कर कहानी बनाई गई है, लेकिन स्क्रीन प्ले भी इतना बेदम है कि एक के बाद एक आने वाले सीन में आपस में कोई कनेक्शन ही नहीं है। घटिया स्क्रीन प्ले के कारण निर्देशक रजनीश राज ठाकुर का प्रभाव कहीं भी दिखाई नहीं पड़ता है। हालांकि गोविंदा, सुनील शेट्टी और जावेद जाफरी ने बेहतरीन अभिनय किया और कहीं कहीं पंच भी गुदगुदाते हैं, लेकिन कुल मिलाकर लूट में वह बात नहीं, जिससे इसे मनोरंजन करने वाली फिल्म कहा जा सके।
पंडित (गोविंदा), अकबर (जावेद जाफरी), विलसन (महाक्षय चक्रवर्ती) और बिल्डर (सुनील शेट्टी) चारों एंटिक पीस और पेंटिंग्स चुराकर मि. बाटलीवाला को बेचते हैं जिनकी कोलाबा में दुकान है। हमेशा चोरी करते समय कुछ गड़बड़ कर देते हैं, जिससे मि. बाटलीवाला परेशान हैं।
मि. बाटलीवाला इनको आखिरी चांस देते हुए बैंकॉक से हीरे-जवाहरात चुराने काम सौंपते हैं। इस सफर में दर्शकों हंसाने की कई कोशिशें हैं। ये नमूने गलत लोगों को छेड़ बैठते हैं, जिनमें एक डॉन है तो दूसरा रॉ एजेंट। किस तरह ये लोग इनसे बचते हैं ये बात फिल्म के क्लाइमैक्स तक खींची गई है।
कॉमेडी में वैसे भी ज्यादा लॉजिकल होने की जरूरत नहीं होती और लूट की कहानी में तो ऐसा बहुत कुछ था, जिस पर अच्छा हास्य रचा जा सकता था, लेकिन घिचपिच पटकथा ने सब गुड गोबर कर दिया। फिल्म की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी इसकी पटकथा ही है।
फिल्म में संगीत के लिए कोई जगह नहीं बनाई गई है और इसीलिए पटाया में राखी सावंत का डांस नंबर ठूंसा हुआ लगता है।
गोविंदा को कॉमेडी फिल्मों का गहरा अनुभव है और लूट में भी उनकी टाइमिंग और संवाद अदायगी का अंदाज लाजवाब है। सुनील शेट्टी ने भी अपने किरदार पर अंत तक पकड़ बनाए रखी। जावेद जाफरी ने भी अपने काम को बखूबी अंजाम दिया है, लेकिन महाक्षय अपनी एक्टिंग से प्रभावित नहीं कर पाए। प्रेम चोपड़ा ठीक ठाक रहे। मीका को खराब एक्टिंग के लिए इसलिए माफ कर सकते हैं, क्योंकि यह बतौर अभिनेता उनकी पहली फिल्म है। श्वेता भारद्वाज और किम शर्मा को फिल्म में खानापूर्ती के लिए जगह दी गई।
पुरानी मसाला फिल्मों से प्रभावित लूट में निर्देशक ने इतने मसाले डालने की कोशिश की गई है कि वह बेस्वाद हो गई।