Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

शायद ही मचे ‘हल्ला’

Advertiesment
हमें फॉलो करें हल्ला
IFM
निर्माता : सुनील दोषी
निर्देशक : जयदीप वर्मा
कलाकार : रजत कपूर, सुशांत सिंह, व्रजेश हिरजी, मनदीप मजूमदार, कार्तिका राणे

निर्देशन में कदम रखने वाले जयदीप वर्मा की पहली फिल्म ‘हल्ला’ का पहला हाफ जितना मजेदार रहा, दूसरा हाफ उतना ही कमजोर। फिल्म की कहानी भी उन्होंने ही लिखी है, लेकिन उनका अच्छा निर्देशन कहानी की कमजोरी से दब गया है।

फिल्म शुरू होती है राज (सुशांत सिंह) और आभा (कार्तिका राणे) से। राज एक ब्रोकिंग फर्म में ब्रोकर का काम करता है, तो आभा एक मार्केटिंग प्रोफेशनल है। दोनों मुंबई के एक उपनगर में दो बैडरूम का फ्लैट लेते हैं ताकि चैन से जिंदगी बिता सकें, लेकिन ऐसा नहीं हो पाता है।

राज की नींद कच्ची है। थोड़ी-सी भी आवाज उसे परेशान कर देती है, दूसरी तरफ आभा को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। नए फ्लैट में राज चैन से सो नहीं पाता है। आखिर वह पता लगाने की ठानता है कि आवाजें कहाँ से आती हैं।

webdunia
IFM
एक रात वह नीचे जाता है, तो देखता है कि बिल्डिंग का चौकीदार चोरों को दूर रखने के लिए सीटी बजाता है। राज उसे फटकारता हुए आगे से ऐसा नहीं करने को कहता है। माजरा बिल्डिंग के सचिव जनार्दन (रजत कपूर) तक पहुँचता है, जो कहते हैं कि सुरक्षा के लिहाज से सीटी का बजाया जाना सही है।

यहाँ से राज की परेशानी गंभीर रूप धारण कर लेती है। वह रात में सो नहीं पाता है और इसका असर उसकी निजी जिंदगी के साथ ही काम पर भी पड़ता है। वह ऑफिस में पहले की तरह तेजी और होशियारी से काम नहीं कर पाता है।

‘हल्ला’ एक साधारण विषय पर बनी फिल्म है। राज जैसी परिस्थितियों का सामना किसी भी महानगरवासी को करना पड़ सकता है। इतने आम मुद्दे पर फिल्म बनाने के लिए जयदीप को दाद दी जाना चाहिए।

जयदीप का निर्देशन अच्छा है। वे साधारण मसले पर भी दर्शकों को हंसाने में सफल रहते हैं, लेकिन कहानीकार के लिहाज से उनका काम कमजोर है। फिल्म में कई मोड़ ऐसे हैं, जिन्हें दर्शक समझ नहीं पाते। मुख्यमंत्री वाली बात गले नहीं उतरती है। यह भी साफ नहीं होता है कि राज और जनार्दन की जिंदगी आखिरी में और खराब क्यों हो जाती है?


webdunia
IFM
सुशांत और रजत ने अभिनय की अपनी जिम्मेदारियाँ बखूबी निभाई हैं। इतने मंझे कलाकारों को लेने का फायदा तो मिलना ही था। कार्तिका और मनदीप भी अभिनय के लिहाज से शानदार रहे।

कुल मिलाकर फिल्म का पहला भाग जितना जोरदार है, दूसरा भाग उतना ही नीरस बन पड़ा है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि फिल्म छोटे शहरों के सिनेमाघरों में चल पाएगी, इसे लेकर आशंका है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi