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हाउसफुल : फिल्म समीक्षा

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समय ताम्रकर

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बैनर : नाडियाडवाला ग्रेंडसन एंटरटेनमेंट, इरोज एंटरटेनमेंट
निर्माता : साजिद नाडियाडवाला
निर्देशक : साजिद खान
संगीत : शंकर-अहसान-लॉय
कलाकार : अक्षय कुमार, लारा दत्ता, दीपिका पादुकोण, जिया खान, रितेश देशमुख, अर्जुन रामपाल, रणधीर कपूर, चंकी पांडे, बोमन इरानी, मलाइका अरोरा, लिलेट दुबे
यू/ए सर्टिफिकेट * 2 घंटे 35 मिनट
रेटिंग : 2.5/5

सत्तर और अस्सी के दशक में बनने वाली कमर्शियल फिल्मों से साजिद खान बेहद प्रभावित हैं और इसीलिए ‘हाउसफुल’ की शुरुआत में उन्होंने उस दौर के दिग्गज डायरेक्टर्स हृषिकेश मुखर्जी, मनमोहन देसाई, प्रकाश मेहरा, फिरोज खान आदि को याद किया है। निश्चित रूप से ये निर्देशक बेहतरीन फिल्में बनाते थे, जो आज भी बड़े चाव से ‍देखी जाती हैं। मनोरंजन इनकी पहली प्राथमिकता रहती थी। साजिद फिल्म को सिर्फ एंटरटेनमेंट का मीडियम मानते हैं, लेकिन मनोरंजन के लिए अच्छी स्टोरी, कसा हुआ स्क्रीनप्ले, मधुर संगीत आवश्यक शर्तें हैं जिस पर बेहतरीन फिल्म देने वाले ये डायरेक्टर्स ध्यान देते थे। ‘हाउसफुल’ में साजिद ने इन बातों को हल्के-से लिया है, जिससे फिल्म उतनी प्रभावी नहीं बन पाई है।

‘हाउसफुल’ की कहानी में नयापन नहीं है। मिस्टेकन आइडेंटिटिस पर कई फिल्में आ चुकी हैं। चलिए, एंटरटेनमेंट के लिए कहानी को इग्नोर कर देते हैं, लेकिन फिल्म के स्क्रीनप्ले में वो कसावट नहीं है कि दर्शक सब कुछ भूलकर सिर्फ ठहाके लगाते रहे।

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कुछ दृश्य ऐसे हैं जो हँसाते हैं, लेकिन ऐसे सीन भी हैं जिनमें चेहरे पर मुस्कान भी नहीं आती। कॉमेडी के नाम पर साजिद ने उन चिर-परिचित दृश्यों को दोहराया है जिन्हें हम सैकड़ों फिल्मों में देख चुके हैं। जैसे- हीरोइन के कमरे में अचानक उसके पिता का आ जाना और डर के मारे हीरो का पलंग के नीचे छिप जाना, रजाई ओढ़ कोई और सोया है और उसे हीरोइन समझकर हीरो का प्यार का इजहार करना, होमोसेक्सुएलिटी को लेकर चिर-परिचित दृश्य या संता-बंता के सुने-सुनाए जोक्स, इन्हें देख अभी भी हँसी आती है, लेकिन जब इतना बड़ा सेटअप है, साजिद के बड़े-बड़े दावे हैं, तो उम्मीद का ज्यादा होना स्वाभाविक है।

कहानी है मकाऊ में रहने वाले आरुष (अक्षय कुमार) की, जो पनौती है। कैसिनो में आपकी बगल में बैठ जाए तो आप हारने लगे। कैसिनो वाला उसे इसके ही पैसे देता है ताकि उसका कैसिनो फायदे में रहे। पता नहीं उसे बदकिस्मत कहा जाए या नहीं क्योंकि उसके पास नौकरी तो है और साथ में गर्लफ्रेंड पूजा (मलाइका अरोरा खान) भी। लेकिन पूजा भी उसे पनौती मान छोड़ देती है और वह नौकरी को लात मार देता है।

मकाऊ से वह लंदन में रहने वाले अपने दोस्त बॉब (रितेश देशमुख) के यहाँ जाता है, जो वेटर है और अपनी पत्नी हेतल (लारा दत्ता) के साथ रहता है। हेतल के पिता बटुक पटेल (बोमन ईरानी) बेटी से खुश नहीं है क्योंकि उसने अपनी मर्जी से शादी कर ली है।

आरुष का मानना है कि जिस दिन उसे सच्चा प्यार मिलेगा उसकी सोई किस्मत जाग जाएगी। बॉब का बॉस किशोर समतानी (रणधीर कपूर) अपनी बेटी देवकी (जिया खान) की शादी एक भारतीय लड़के से करना चाहता है और आरुष में उसे सारी योग्यताएँ नजर आती हैं। आरुष और देवकी की शादी हो जाती है, लेकिन शादी के बाद आरुष को पता चलता है कि देवकी का एक बॉयफ्रेंड है और शादी केवल उसने अपने पिता की दौलत पाने के लिए की है। वह उससे डाइवोर्स चाहती है।

आरुष आत्महत्या करने जाता है, लेकिन उसे सेंडी (दीपिका पादुकोण) बचा लेती है और दोनों में इश्क हो जाता है। सेंडी का भाई (अर्जुन रामपाल) पुलिस वाला है और सख्त मिजाज का है। वह शादी के पहले आरुष को परखना चाहता है।

उधर हेतल अपने पिता को झूठ बोलती है कि उसका पति पैसे वाला है और उसका एक बच्चा भी है। बच्चे को देखने की आस में उसके पिता गुजरात से लंदन आ जाते हैं। आरुष, सेंडी, हेतल और बॉब मिलकर एक आलीशान घर किराए से लेते हैं।

झूठ बोलने के कारण कुछ गलतफहमियाँ ऐसी पैदा होती हैं कि हेतल के पिता आरुष को ही उसका पति समझ लेता है। परिस्थिति तब और बिगड़ जाती है जब सेंडी का भाई भी आ धमकता है। एक झूठ छिपाने के लिए कई झूठ बोलना पड़ते हैं और हास्यास्पद परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं।

फिल्म के शुरुआती दृश्य बेहद मामूली हैं। आरुष बदकिस्मत है, लेकिन कई दृश्य उसे मूर्ख साबित करते हैं। एंटरटेनमेंट का ग्राफ बहुत समय बाद ऊँचा तब उठता है जब बोमन और अर्जुन रामपाल की एंट्री होती है। फिल्म का क्लायमैक्स ऐसा है कि पसंद और नापसंद करने वाले लोगों की संख्या बराबर रहेगी।

साजिद खान ने एंटरटेनमेंट के नाम पर कुछ ज्यादा ही छूट ले ली है। उनके काम में नयापन नहीं है। रितेश और लारा के बच्चे वाली बात वे बाद में भूल ही गए। अक्षय कुमार के कैरेक्टर को उन्होंने थोड़ा दब्बू पेश किया है जो उनके फैंस को शायद ही पसंद आए। फिल्म को उन्होंने अश्लीलता और फूहड़ता से बचाए रखा, इसके लिए उनकी तारीफ की जा सकती है।

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फिल्म के गाने सिर्फ देखते समय ही अच्छे लगते हैं। ‘आई डोंट नो’, ‘पापा जग जाएगा’ और ‘अपनी तो जैसे-तैसे’ की कोरियोग्राफी उम्दा है।

अक्षय कुमार ने कैरेक्टर के मुताबिक सीधा-सादा बनने की कोशिश की है, लेकिन उनके प्रयास नजर आते हैं। फिर भी कुछ दृश्यों में उन्होंने अपने अभिनय के बल पर ही हँसाया है।

रितेश देशमुख और बोमन ईरानी का पूरा उपयोग नहीं हुआ है। अर्जुन रामपाल हैंडसम नजर आए। दीपिका पादुकोण, लारा दत्ता और जिया खान को ग्लैमरस तरीके से पेश किया गया। एक्टिंग में दीपिका भारी पड़ी। रणधीर कपूर अरसे बाद स्क्रीन पर दिखाई दिए।

कुल मिलाकर ‘हाउसफुल’ में उम्मीद के मुताबिक धमाल तो नहीं है, लेकिन टाइमपास हो जाए इतना मसाला तो है।

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