कैटरीना कैफ
(राजनीति, तीस मार खाँ)
कैटरीना की लोकप्रियता का ग्राफ लगातार ऊँचाइयों की ओर जा रहा है। ‘राजनीति’ में उन्होंने दिखा दिया कि वे ग्लैमर डॉल ही नहीं हैं, अभिनय भी कर सकती हैं। चैलेंजिंग रोल के लिए तैयार हैं। दूसरी ओर ‘शीला की जवानी’ के जरिये वे दर्शकों पर बिजली गिरा रही हैं। बॉलीवुड के सारे हीरो कैटरीना के साथ ज्यादा से ज्यादा फिल्म करने के लिए मरे जा रहे हैं।
प्रियंका चोपड़ा
(प्यार इम्पॉसिबल, अंजाना अंजानी)
प्रियंका चोपड़ा के खाते में इस वर्ष असफलता ही आई। माल कमाने के चक्कर में उदय चोपड़ा की हीरोइन बन गईं और उदय की फिल्म की सफलता बॉक्स ऑफिस पर इम्पॉसिबल है। ‘अंजाना-अंजानी’ के पिटने का सदमा प्रियंका को जरूर लगा होगा। रणबीर भी फिल्म को बचा नहीं पाए। शाहिद कपूर से लुकाछिपी का खेल जारी रहा और प्रियंका को चर्चा मिलती रही।
करीना कपूर
(मिलेंगे मिलेंगे, वी आर फैमिली, गोलमाल 3)
2010 ने जाते-जाते बेबो के खाते में ‘गोलमाल 3’ जैसी सुपरहिट फिल्म डाल दी। इसमें वे एकमात्र हीरोइन हैं और उनका रोल किसी हीरो से कम नहीं है। ‘वी आर फैमिली’ में काजोल से उन्होंने टक्कर लेकर साबित किया कि वे किसी से नहीं डरती। ‘मिलेंगे मिलेंगे’ के जरिये बेबो के सामने शाहिद कपूर फिर आ खड़े हुए, लेकिन न करीना ने उनसे मिलना मंजूर किया और न ही दर्शकों ने।
बिपाशा बसु
(पंख, लम्हा, आक्रोश)
ग्लैमरस रोल ठुकराकर दमदार रोल करने के चक्कर में बिपाशा ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली। ‘लम्हा’ देख दर्शक आक्रोश में आ गए कि हमें नहीं देखना ऐसी बिपाशा। हमें तो ‘बीड़ी जलई ले’ वाली बिपाशा ही अच्छी लगती है। बिप्स की स्टार वैल्यू में जबर्दस्त गिरावट आई है।
विद्या बालन
(इश्किया)
इश्किया में विद्या ने बोल्ड रोल कर दर्शकों को चौंका दिया। गालियाँ भी दी और अरशद को गरमा-गरम किस भी दे दिया। उनके अभिनय की खूब तारीफ हुई और फिल्म ने भी अच्छा व्यवसाय किया। एक अच्छी एक्ट्रेस की साख को विद्या ने इस वर्ष भी कायम रखा।
दीपिका पादुकोण
(कार्तिक कॉलिंग कार्तिक, हाउसफुल, लफंगे परिंदे, ब्रेक के बाद, खेलें हम जी जान से)
दीपिका की इस वर्ष प्रदर्शित फिल्मों को देख एक ही बाद याद आती है ‘पिटें हम जी जान से’। उनकी यह हालत देख उन निर्माताओं के पसीने छूट रहे हैं जो दीपिका को लेकर फिल्म बना रहे हैं। ‘हाउसफुल’ के नाम पर एक औसत सफलता उनके नाम दर्ज है। रणबीर के बारे में उल्टा-सीधा बोल उन्होंने कई लोगों की नाराजगी मोल ले ली, सो अलग।
लारा दत्ता
(हाउसफुल)
फिल्मों से ज्यादा लारा की चर्चा उनकी सगाई को लेकर रही। ना-ना करते-करते उन्होंने भूपति को अपना जीवन साथी बनाने का फैसला ले ही लिया। एकमात्र प्रदर्शित हाउसफुल की सफलता में उनका योगदान कितना है, ये बात वे भी अच्छी तरह जानती हैं।
कंगना
(काइट्स, वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई, नॉक आउट, नो प्रॉब्लम)
काइट्स, नो प्रॉब्लम और नॉक आउट में कंगना के रोल देख ये बात समझ में आती है कि रोल चुनने के मामले में वे नासमझ है। अभिनय भी उन्होंने घटिया किया। बॉलीवुड के बड़े हीरो कंगना को घास नहीं डालते। ‘वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई’ ने उनकी साख बचा ली।
अनुष्का शर्मा
(बदमाश कंपनी, बैंड बाजा बारात)
यशराज कैंप से अभी तक अनुष्का बाहर नहीं निकल पाई है। ‘बदमाश कंपनी’ और ‘बैंड बाजा बारात’ में उनका अभिनय सराहनीय रहा है। बॉलीवुड के कई निर्देशकों की अनुष्का पर निगाह है। धीरे-धीरे ही सही, लेकिन सही दिशा में वे आगे बढ़ रही हैं।
काजोल
(माई नेम इज खान, वी आर फैमिली, टूनपुर का सुपरहीरो)
2010 काजोल के लिए यादगार रहा। बेटे के रूप में उन्हें अपना नया फैमिली मेम्बर मिला तो ‘माई नेम इज खान’ की सफलता के जरिये उनकी और शाहरुख की जोड़ी का शत-प्रतिशत सफलता का रिकॉर्ड कायम रहा। कुछ फिल्में भले ही नहीं चली हो, लेकिन काजोल का अभिनय हमेशा की तरह स्तरीय रहा।
सोनम कपूर
(आई हेट लव स्टोरीज, आयशा)
सोनम को ज्यादा से ज्यादा फिल्में करनी चाहिए, परंतु पापा अनिल कपूर ने शायद इस पर रोक लगा रखी है। वैसे भी वे नखरे बहुत करती हैं, इसलिए निर्माता सरदर्द मोल नहीं लेना चाहते। आई हेट लव स्टोरीज को औसत सफलता मिली, लेकिन उनके लिए खासतौर पर बनाई गई ‘आयशा’ ने उनकी आशा को निराशा में बदल दिया।
मुग्धा गोडसे
(हेल्प)
‘फैशन’ जैसी सफल फिल्म से शुरुआत करने के बावजूद मुग्धा अपनी पहचान नहीं बना पाई। बिकनी पहन और डरावने चेहरे के जरिये उन्होंने दर्शकों से ‘हेल्प’ माँगी, लेकिन कोई मदद उन्हें नहीं मिली। दर्शकों को मुग्ध करने के लिए उन्हें जल्दी ही कुछ करना होगा।
ऐश्वर्या राय
(रावण, रोबोट, एक्शन रिप्ले, गुजारिश)
‘रोबोट’ ने सफलता के नए अध्याय लिखे, लेकिन इस फिल्म की सफलता में ऐश्वर्या का योगदान नगण्य है। रावण, एक्शन रिप्ले और गुजारिश की असफलता ने ऐश्वर्या के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है। फुसफुसाहट शुरू हो गई है कि ब्रेक लेकर उन्हें परिवार पर ध्यान देना चाहिए।
मल्लिका शेरावत
(हिस्स)
’हिस्स’ देखने के बाद वे सारे दावे खोखले नजर आए जो मल्लिका ने रिलीज होने के पहले किए थे। इससे कई गुना अच्छी फिल्में तो बॉलीवुड में बनती हैं। फिल्म में मल्लिका ने एक भी संवाद नहीं बोला। फिल्म पिटने के बाद उनकी सचमुच में बोलती बंद हो गई है।
जेनेलिया डिसूजा
(चांस पे डांस)
जेनेलिया कहीं ना कहीं गलती कर रही हैं। ‘जाने तू या जाने ना’ की कामयाबी के बाद इमरान बहुत आगे निकल गए, लेकिन जेनेलिया वहीं की वहीं रह गईं। ‘चांस पे डांस’ ने उन्हें डांस का मौका नहीं दिया। फिल्में हासिल करने के लिए उन्हें अब भी संघर्ष करना पड़ रहा है।
नेहा धूपिया
(फँस गए रे ओबामा, एक्शन रिप्ले)
एक्शन रिप्ले में चिंदी-सा रोल करने वाली नेहा धूपिया ने ‘फँस गए रे ओबामा’ के जरिये सभी को प्रभावित किया। कमर्शियल और ऑफ बीट का संतुलन उन्होंने बनाए रखा है और यही वजह है कि उनका करियर लंबा खींच गया है।