कहते हैं कि ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध जब एक गांव से गुजर रहे थे तब एक किसान उनके रूप और व्यक्तित्व की सुगंध से प्रभावित होकर उनके समीप आ गया।
'मित्र आप कौन हैं?' किसान ने बुद्ध से पूछा- 'आपके समीप मुझे ऐसी अनुभूति हो रही है कि मैं किसी देवता या ईश्वर के सम्मुख उपस्थित हूं।'
'मैं इनमें से कोई नहीं हूं'- बुद्ध ने उत्तर दिया।
'फिर आप अवश्य ही मायावी शक्तियों से सम्पन्न होंगे'।
'नहीं मैं मायावी भी नहीं हूं।'
'तो फिर आपमें ऐसा क्या है जो मुझ जैसे साधारण किसान को भी सहज ही दृष्टि गोचर हो रहा है'।
'मैं केवल इस जीवन की सुप्तावस्था से जाग गया हूं। यही सत्य है जिसे मैं सबको बताता हूं, पर कोई मेरा विश्वास नहीं करता।'