भारत का इतिहास इस बात का साक्षी है कि इस देश में जब-जब बौद्ध धर्म कमजोर पड़ा है, तब-तब भारत में भ्रष्टाचार में वृद्धि हुई है। यथार्थ में बौद्ध धर्म के सर्वोच्च नैतिक मूल्य प्रज्ञा, शील, मैत्री और करूणा मनुष्य को भ्रष्टाचार करने से रोकते हैं, उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इन मूल्यों और सदाचरण में उच्चकोटि का सकारात्मक सह-संबंध है।
आज भारत में बौद्ध धर्म शनै-शनै विकासोन्मुख है, लेकिन यह वर्तमान में इतनी व्यापक एवं सशक्त अवस्था में नहीं है, जो भ्रष्टाचार के विरूद्ध प्रभावकारी भूमिका का निर्वाह कर सके। उसका मुख्य कारण यह है कि वर्तमान भारत में बुद्ध विरोधियों और भ्रष्टाचार पर विश्वास करने वालों की संख्या अत्यधिक है। इसलिए भारत भ्रष्टाचार के विकास के लिए उपयुक्त उपजाऊ भूमि है।
संकुचित अर्थ में भ्रष्टाचार का अर्थ अनैतिक एवं गैरकानूनी माध्यम से चल-अचल संपत्ति एकत्रित करना होता है। व्यापक दृष्टि से त्रिपिटक के महत्वपूर्ण ग्रंथ सुत्त निपात के पराभव सुत्त में मनुष्य के पतन के जो अमंगल, अनैतिक एवं अशुभ कर्म बताए हैं, वे सभी कर्म भ्रष्टाचार में वृद्धि करते हैं, उदाहरण के लिए व्यभिचार करना, शराब पीना, जुआ-सट्टा खेलना, झूठ बोलना, गैर कानूनी माध्यम से धन संचय करना आदि भ्रष्टाचार की परिधि में आते हैं।
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इतना ही नहीं, बल्कि धार्मिक क्षेत्र में प्रज्ञाहीन अंधविश्वास और पाखंडी कर्मकांडों की आड़ में भ्रष्टाचार दस्तक दे चुका है। इसके विपरीत भगवान बुद्ध ने सुत्त निपात में ही महामंगल सुत्त के अंतर्गत उन कर्मों को बताया है, जिनके अनुशीलन से भ्रष्टाचार समाप्त हो सकता है।
अनेक अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के सर्वेक्षणों ने यह प्रमाणित कर दिया है कि विश्व में बढ़ते हुए भ्रष्टाचार के मामले में भारत का स्थान अत्यधिक ऊंचा और चिंताजनक है। 30 मार्च, 2011 के समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार 'भ्रष्ट देशों की लिस्ट में भारत नंबर चार पर' पढ़ा था, जो बहुत ही शर्मनाक बात है।
पॉलिटीकल एंड इकोनोमिक रिस्क कंसलटैंसी लिमिटेड (पीईआरसी) ने भारत को भ्रष्टाचार के मामले में शून्य से दस अंक के पैमाने पर 8.67 अंक प्रदान किए हैं। जिसे पतन की दृष्टि से भारत के लिए खतरे की घंटी कहा जा सकता है।
इस स्थिति को देखकर यह स्पष्ट एवं निरपेक्ष रूप से कहा जा सकता है कि आज भारत में भ्रष्टाचार बड़ी तीव्र गति से फैल रहा है। यही नहीं बल्कि इसके अतिरिक्त हत्याएं, बलात्कार, चोरी-डकैती, नशाखोरी और अपहरण जैसे अपराध जंगल में आग की तरह फैल रहे हैं, जिससे समाज व राष्ट्र का पल पल में नैतिक पतन हो रहा है। और विश्व में भारत अपनी साख खोता जा रहा है।
भारत में तेजी से बढ़ते हुए भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बुद्ध का अनुशीलन ही एक उचित एवं उपयोगी मार्ग है, जो भारत को पुनः एक महान देश बना सकता है।