अचरित्वा ब्रह्मचवरियं अलद्धा योब्बने धनं। जिण्णकोञ्जा व झायन्ति खीणमच्छे व पल्लले॥
भगवान बुद्ध कहते हैं कि जो लोग ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते और जवानी में धन नहीं जुटाते, वे उसी तरह नष्ट हो जाते हैं, जिस तरह मछलियों से रहित तालाब में बूढ़े क्रौंच पक्षी।
अचरित्वा ब्रह्मचरियं अलद्धा योब्बने धनं। सेन्ति चापातिखित्ता व पुराणानि अनुत्थुनं॥
जो लोग ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते और जवानी में धन नहीं जुटाते, वे धरती पर उसी तरह गिर पड़ते हैं, जैसे टूटे हुए मकान। पुरानी बातें कह-कहकर वे पछताते रहते हैं।