गौरतलब है कि पहले विदेशी आक्रांताओं ने बामियान, पुरुषपुर (पेशावर), कराची, चंडीगढ़, श्रीनगर, सोमनाथ, मथुरा, काशी, अयोध्या, प्रयाग, लुम्बिनी, दिल्ली (इंद्रप्रस्थ), मेरठ (हस्तिनापुर), बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, सांची, पाटलीपुत्र, नालंदा, पंचानेर, पावागढ़, कौशाम्बी, लखनऊ (लक्ष्मणपुर), नासिक, आगरा (अंगिरा), राजगिरि, भोपाल (भोजपाल), उज्जैन (अवंतिका), रामेश्वरम, कोलकाता, ढाका, त्रिपुरा आदि महत्वपूर्ण हिन्दू, जैन और बौद्ध स्थानों पर आक्रमण करके यहां के प्रमुख मंदिरों, मठों, महलों और शिक्षा केंद्रों को ही नष्ट नहीं किया, बल्कि धर्मग्रंथों की पांडुलिपियों को ढूंढ-ढूंढकर जलाया गया। इन तुर्क आक्रमणकर्ताओं में गजनवी, तैमूरलंग, औरंगजेब, मोहम्मद गौरी, बाबर, बख्तियार खिलजी के नाम प्रमुखता से लिए जाते हैं।