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आज के शुभ मुहूर्त

(त्रयोदशी तिथि)
  • तिथि- वैशाख कृष्ण त्रयोदशी/चतुर्दशी-(क्षय)
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00
  • जयंती/त्योहार/व्रत/मुहूर्त- शिव चतुर्दशी, मास शिवरात्रि
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
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बुद्ध के अमृत वचन

अपना उद्धार अपने हाथ में

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हमें फॉलो करें बौद्ध धर्म
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कुमार कश्यप ने सयाने होकर बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। उन्हें अर्हत्व मिल गया। उनकी मां ने उन्हें 12 बरस से नहीं देखा था। एक दिन भिक्षा के लिए वे उसके पास पहुंच गए। मां भी दीक्षा ले चुकी थीं, फिर भी उनके स्तनों से दूध की धारा बह उठी। उसने कश्यप को पकड़ लिया।

'छिःछिः यह क्या कर रही हो? दीक्षा लिए तुम्हें इतने दिन हो गए, तुम स्नेह का बंधन भी नहीं तोड़ सकीं!'

मां को बोध हुआ। मोह छूटा। वे अर्हत्व पा गईं।

एक दिन प्रसंग उठने पर उनका उदाहरण देते हुए भगवान बुद्ध ने कहा -

अत्ता हि अत्तनो नाथो को हि नाथो परी सिया
अत्तना हि सुदन्तेन नाथं लभति दुल्लभं॥

मनुष्य स्वयं ही अपना स्वामी है। भला दूसरा कोई उसका स्वामी कैसे हो सकता है? मनुष्य अपने आप ही अच्छी तरह से अपना दमन करके दुर्लभ स्वामित्व को, निर्वाण को प्राप्त कर सकता है।

अत्ता हि अत्तनो नाथो अत्ता हि अत्तनो गति।
तस्मा संज्जम'त्तानं अस्सं भद्र व वाणिजो॥

बुद्ध कहते हैं मनुष्य स्वयं ही अपना स्वामी है। स्वयं ही वह अपनी गति है। इसलिए तुम अपने आपको संयम में रखो, जैसे बनिया अपने सधे हुए घोड़े को अपने वश में रखता है।

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