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बोमडिला : महायान बौद्धों का केंद्र

बौद्ध धर्म के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण

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- रविशंकर रवि
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SUNDAY MAGAZINE
हिमालय की गोद में बसे अरुणाचल प्रदेश के लोग अपनी दैनिक दिनचर्या में व्यस्त हैं। इस प्रदेश के आपातानी आदिवासी समूह के बीच एक प्रचलित कथा है।

इस आदिवासी समूह के एक शक्तिशाली पुरुष थे- आबो तानी। वे अपनी दूरदर्शी आँखों से हिमालय के शिखर को एकटक निहारकर देवताओं से संपर्क कर लेते थे। हेखी नाम के एक देवता की नजर उनकी दूरदर्शी आँखों पर थी। एक दिन जब आबो पानी लाने नदी किनारे गए तो हेखी देवता ने उनकी दूरदर्शी आँखें चुरा लीं । वे दुखी होकर क्रीन देवता के पास गए और अपनी व्यथा सुनाई। क्रीन देवता ने उन्हें हिमालय के शिखर पर जाकर तपस्या करने की सलाह दी । आबो ने उसका अनुकरण किया। हिमालय की कृपा से उन्हें उनकी दूरदर्शी आँखें मिल गईं। उस दिन से आपातानी आदिवासी साल में एक बार उसी तरह से हिमालय की पूजा-अर्चना करते हैं।

यह किंवदंती यह बताने के लिए पर्याप्त है कि अरुणाचल प्रदेश के लोगों की दैनिक जिंदगी में हिमालय का क्या महत्व है। आपातानी लोग पश्चिमी कामेंग जिले में आमतौर से रहते हैं। जीरो जिला मुख्यालय है। पहाड़ियों से घिरा यहाँ का समतल इलाका खेती के लिए काफी उर्वर है इसलिए इस इलाके में सबसे अधिक फसल का उत्पादन होता है। यह बात सिर्फ आपातानी ही नहीं, निशी, मोंग्पा आदि जनजातियों पर भी लागू होती है।

अस्सी हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले अरुणाचल प्रदेश का सत्तर हजार वर्ग किलोमीटर इलाका हिमालय की गोद में अवस्थित है। ये इलाके पैंतीस सौ मीटर की ऊँचाई से लेकर सत्रह सौ मीटर तक फैले हैं। सबसे ऊँची चोटी कांग्टे (सात हजार नब्बे मीटर) है। उसके बाद गोरीचाम (पैंसठ सौ चौंतीस मीटर) का नंबर आता है । पूरे अरुणाचल प्रदेश में हिमालय की पहाड़ियों की श्रृंखलाएँ हैं। चीन की सीमा से सटा तवांग जिले का गुमला पास तो वर्ष भर बर्फ से आच्छादित रहता है।

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एक सौ बावन मीटर की ऊँचाई के बाद से ही शरद काल में वर्षा के साथ बर्फ पड़ने लगती है इसलिए अरुणाचल प्रदेश में लगभग रोज वर्षा होती है और साल में औसतन साढ़े तीन सौ मिमी वर्षा होती है। हिमालय से निकलने वाली मुख्य नदियाँ- कामेंग, सियांग, सुबनसिरी, खुरु, रंगा, कामला, सिइउम, लोहित, दिबांग, डिगारु, ना-दिहिंग, तिराप अरुणाचल प्रदेश को हरित प्रदेश बनाने में अहम भूमिका का निर्वाह करती हैं । पहाड़ी नालों, झरनों और उप-नदियों का तो जाल बिछा है, जिससे सालभर पानी उतरकर असम के मैदानों तक पहुँचता है।

अरुणाचल प्रदेश के दो जिले-तिराप और चांगलांग को छोड़ पूरा राज्य हिमालय की गोद में बसा है। हिमालय वाला इलाका तिब्बत से सटा है। यही वजह है कि तिब्बत से आकर बसे बौद्ध इन इलाकों में ज्यादा हैं। उनके लिए परिवेश और वातावरण बिल्कुल एक जैसा है। बर्फीला मौसम और पहाड़ उनके लिए चिर-परिचित हैं।

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बोमडिला के निकट बौद्ध धार्मिक गीतों के संकलन और उसे नया रूप देने में जुटे ग्राहम लामा बताते हैं कि भौगोलिक सीमा भले ही हिमालय को बाँटती हो लेकिन हमारे लिए हिमालय एक ही है। सीमा के इस पार हो या उस पार। परिवेश बिलकुल समान है इसलिए हमारे पूर्वजों को इधर आकर बसने में कोई परेशानी नहीं हुई।

यही वजह है कि तिब्बत से भागने के बाद बौद्ध भिक्षुओं ने अरुणाचल के सीमावर्ती इलाके की तरफ रुख किया और तवांग में मोनेस्टरी स्थापित की। तवांग से वे लोग नीचे की तरफ बोमडिला की तरफ बढ़े और बढ़ते हुए पश्चिमी कामेंग जिले को पार कर भूटान तक बढ़े।

अरुणाचल मामलों के विशेषज्ञ डॉ. डीके दुवरा के अनुसार बौद्ध धर्म का प्रभाव वहाँ सत्रहवीं सदी से अठारहवीं सदी के बीच आरंभ हुआ। आठ हजार फुट से भी अधिक की ऊँचाई पर बनी एशिया की सबसे पुरानी व विशाल तवांग मोनेस्टरी का निर्माण काल सत्रहवीं सदी माना जाता है। वहाँ के विशाल पुस्तकालय में पुराने धर्मग्रंथों के करीब साढ़े आठ सौ बंडल सुरक्षित हैं। बौद्ध धर्म के अध्ययन के लिए यह महत्वपूर्ण है। यह स्थल महायान बौद्धों का केंद्र है।

अरुणाचल प्रदेश में बुनियादी सुविधाओं का विकास पिछले दस वर्षों में काफी तेजी से हुआ है फिर भी प्रदेश के अधिकांश गाँव सड़क संपर्क से कटे हैं। जिला मुख्यालय के लिए सड़कें तो बन गई हैं लेकिन परिवहन व्यवस्था आज भी चुस्त-दुरुस्त नहीं है। यही कारण है कि लोग निजी वाहनों पर ज्यादा निर्भर करते हैं। तेजपुर से तवांग के लिए मात्र एक बस चलती है, हालाँकि इधर छोटे सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग बढ़ा है। फिर भी इस कारण से यहाँ के लोगों को काफी पैदल चलना पड़ता है लेकिन प्राकृतिक संसाधनों का लाभ वहाँ के लोगों को मिलता रहा है।

अब राज्य सरकार पर्यटन के माध्यम से राजस्व कमाने का प्रयास कर रही है। यहाँ की जलवायु और प्राकृतिक छटा पर्यटकों को आकर्षित करती है। यही वजह है कि अब राज्य सरकार जगह-जगह टूरिस्ट लॉजों का निर्माण करवा रही है। यातायात की व्यवस्था को बेहतर बनाया जा रहा है। इन प्रयासों से अरुणाचल में देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ी है।

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