Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(त्रयोदशी तिथि)
  • तिथि- वैशाख कृष्ण त्रयोदशी/चतुर्दशी-(क्षय)
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00
  • जयंती/त्योहार/व्रत/मुहूर्त- शिव चतुर्दशी, मास शिवरात्रि
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia

सुख की खोज में भटकी बौद्ध भिक्षुणी पटाचारा

बौद्ध संत पटाचारा

Advertiesment
हमें फॉलो करें बौद्ध संत
ND

बौद्ध संत पटाचारा वणिक-पुत्री थी। मनपसंद युवक से विवाह करने के कारण उसके माता-पिता रुष्ट हो गए और उन्होंने अपनी बेटी से संबंध तोड़ लिए।

सुखी दांपत्य जीवन जीते हुए भी उसे अपने माता-पिता की नाराजगी का दुख था। विवाह के कुछ ही वर्षों में उसने दो पुत्रों को जन्म दिया। फिर एक दिन पटाचारा को विचार आया कि माता-पिता का गुस्सा अब शांत हो गया होगा और नातियों को देखकर प्रेम-भाव उमड़ आएगा। यह सोच वह पति के साथ गृहनगर श्रावस्ती की ओर रवाना हुई।

जब पटाचारा पति एवं बच्चों के साथ वन से जा रही थी तो एक सर्प ने उसके पति को डस लिया। उचित इलाज के अभाव में वह बच न सका और उसके प्राण-पखेरू उड़ गए।

पति-वियोग में विलाप करती पटाचारा बच्चों को लेकर आगे बढ़ी ही थी कि अचानक एक जंगली जानवर उसके एक बच्चे को उठा ले भागा, किंतु वह विचलित न हुई और आगे बढ़ी। लेकिन विपत्तियां भी पीछा नहीं छोड़ रही थीं। मार्ग में एक नदी पड़ी और दूसरा बच्चा तेज धार में बह गया।

webdunia
ND
अब पटाचारा अकेली रह गई, किंतु उसके भाग्य में सुख कहां था? वह जब श्रावस्ती पहुंची तो पता चला कि कुछ ही दिन पहले उसके माता-पिता घर की छत गिरने से परलोक सिधार चुके हैं। वह दुखों के पहाड़ से विचलित हो उठी थी, तभी पता चला कि श्रावस्ती में बुद्ध देव का आगमन हुआ है।

वह उनके पास पहुंची और उन्हें अपनी दुखद कहानी सुनाई।

बुद्ध देव ने कहा, 'पटाचारा, यह संसार नश्वर है। यहां कोई किसी का नहीं होता। मनुष्य का जीवन कष्टों और आपदाएं से भरा रहता है। वे उसे सतत घेरे रहती हैं। इसलिए मनुष्य को हार न मानकर उनका सामना करना चाहिए।'

इस उपदेश का पटाचारा पर असर हुआ। उसने सांसारिक जीवन त्याग कर शाश्वत शांति का मार्ग अपनाने का निश्चय किया और वह बौद्ध भिक्षुणी हो गई।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi