Festival Posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

चिदंबरम को खोलना पड़ेगा खजाना

Advertiesment
हमें फॉलो करें चिदंबरम खजाना
, रविवार, 24 फ़रवरी 2008 (18:07 IST)
राज सहायता (सब्सिडी) पर अंकुश लगाने के पक्षधर वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को न चाहते हुए भी आगामी बजट में उर्वरक सब्सिडी के लिए अपना खजाना खोलना पड़ेगा क्योंकि चुनावी वर्ष होने के कारण सरकार किसानों की नाराजगी मोल लेने का खतरा नहीं उठा सकती।

चिदंबरम ने पिछले बजट में उर्वरक सब्सिडी के लिए 22451 करोड़ रु. का प्रावधान किया था तथा इच्छा जताई थी कि बढ़ती सब्सिडी पर अंकुश लगाया जाए। ऐसा होने की बजाय उर्वरक सब्सिडी में बेतहाशा वृद्धि हुई और वित्तमंत्री को पूरक अनुदान माँग के जरिए इसके लिए 15000 करोड़ रु. उपलब्ध कराने पड़े। परंतु यह राशि भी पर्याप्त सिद्ध नहीं हुई।

उर्वरक विभाग के आकलन के अनुसार चालू वित्त वर्ष में उर्वरक सब्सिडी 45000 करोड़ रु. से भी अधिक हो जाएगी जो बजट में उपलब्ध कराई गई राशि से दोगुना होगी। अभी तक के अनुमान के अनुसार अगले वित्त वर्ष उर्वरक सब्सिडी के लिए 64000 करोड़ रु. की जरूरत होगी। इसे देखते हुए उर्वरक विभाग ने वित्त मंत्रालय से 29 फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट में इसके लिए 50000 करोड़ रु. का प्रावधान करने की माँग की है।

उर्वरक विभाग ने आगामी अप्रैल से पोषक तत्व आधारित उर्वरकों पर भी सब्सिडी देने का इरादा जताया है ताकि किसानों को डीएपी, एमओपी तथा मिश्रित उर्वरक भी सस्ती दरों पर मिल सकें। इस तरह के उर्वरकों पर सब्सिडी देने पर करीब 1200 करोड़ रु. खर्च करने पड़ेंगे।

वित्त मंत्री ने पिछले बजट में उर्वरक सब्सिडी कंपनियों की बजाय सीधे किसानों को देने की योजना शुरू करने का भी प्रस्ताव किया था लेकिन यह प्रस्ताव सिर नहीं चढ़ सका। उर्वरक सब्सिडी को कम करने का कोई रास्ता निकालने पर मंत्रियों का समूह इस समय विचार कर रहा है तथा ऐसे संकेत हैं कि उर्वरकों की कीमतें तय करने के लिए स्वतंत्र नियामक की स्थापना की जाएगी।

उर्वरक विभाग के अनुसार सब्सिडी में तेजी से वृद्धि होने का प्रमुख कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरकों की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी होना है। उनके अनुसार आयातित यूरिया की कीमत 16 से 17 हजार रु. प्रति टन है जबकि इसे किसानों को 5 हजार रु. प्रति टन से भी कम कीमत पर उपलब्ध कराया जाता है। इसका एक और कारण पिछले कई वर्षों से देश में उर्वरकों की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होना है जबकि इसके निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।

रसायन और उर्वरक मंत्री रामविलास पासवान का कहना है कि उर्वरकों की बढ़ती कीमतों का बोझ हम किसानों पर नहीं डाल सकते। ऐसे में सब्सिडी में वृद्धि होना स्वाभाविक है और चिदंबरम को उसकी भरपाई के लिए व्यवस्था करनी होगी।

इसी बीच व्यापारियों के शिखर संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को भेजे एक बजट पूर्व ज्ञापन में घरेलू व्यापार को मजबूत बनाने हेतु केंद्र एवं राज्य स्तर पर पृथक रूप से आंतरिक व्यापार मंत्रालय, घरेलू व्यापार कानूनों की समीक्षा के लिए पुनर्समीक्षा आयोग तथा योजना आयोग की तर्ज पर व्यापार आयोग के गठन का सुझाव देते हुए आंतरिक व्यापार तथा छोटे उद्योगों के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाने की माँग की है।

कन्फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया तथा राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खण्डेलवाल ने यहाँ जारी एक संयुक्त वक्तव्य में बताया कि कन्फेडरेशन ने आयकर में छूट की सीमा 5 लाख रु. तक करने तथा आयकर कानून की धारा 80 सी के अंतर्गत कुछ निवेशों में छूट की सीमा 1 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रु. करने तथा पार्टनरशिप फर्म एवं प्राईवेट लि. कंपनियों के लिए भी आयकर में छूट की सीमा घोषित करने की माँग की है।

कन्फेडरेशन ने यह भी कहा है धारा 44 ए बी के अन्तर्गत आडिट की सीमा 40 लाख वर्ष 1983 में तय की गई थी। गत वर्षों में मूल्य सूचकांक में बेतहाशा वृद्धि हुई है इसलिए आडिट की सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ रु. करना आवश्यक है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi