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बजट के गोपनीय पहलू

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आमतौर पर बजट निर्माण की प्रक्रिया सितम्बर-अक्टूबर के महीने से शुरू हो जाती है। दिसम्बर के अंत तक करीब-करीब सभी मंत्रायल अपने-अपने खर्च और नई योजनाओं का ब्योरा वित्त मंत्रालय को भेज देते हैं। इसके बाद बजट निर्माण की प्रक्रिया में तेजी आती है। यह क्रम प्रतिवर्ष जारी रहता है। यानी यह कहा जा सकता है कि बजट का निर्माण एक सतत प्रक्रिया का हिस्सा है।

समूचे बजट में दो प्रस्ताव अत्यन्त महत्वपूर्ण होते हैं। पहला कर प्रस्ताव और दूसरा नई आर्थिक योजनाओं की घोषणा। इन दोनों प्रस्तावों का फैसला राजनीतिक स्तर पर होता है ।

इसकी जानकारी सिर्फ वित्तमंत्री और प्रधानमंत्री को ही रहती है। नई योजनाओं की जानकारी संबद्ध मंत्रालयों को भी रहती है, लेकिन कर प्रस्तावों को तो अत्यन्त गोपनीय ही रखा जाता है।

केन्द्रीय मंत्रिमंडल के मंत्रियों को भी इसकी भनक बजट पेश होने के केवल एक घंटे पूर्व ही लग पाती है। जिस तारीख की सुबह बजट 11 बजे संसद में पेश होता है, तो उस पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मुहर 10 बजे लगती है, लेकिन आजकल गोपनीयता बरतने की परंपरा कुछ कमजोर हुई है।

कई बार बजट संसद में पेश होने से पहले ही लीक हो जाता है। कुछ लोग तो यह दावा करते हैं कि उदारीकरण के दौर में विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के इशारे पर ही बजट बनाया जा रहा है।

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