बंद हो जुर्माना वसूली
मामला : कर्ज के समय पूर्व भुगतान पर पेनल्टी लेना
यदि कोई व्यक्ति अपनी बचत से या पूर्व निवेश से प्राप्त बड़ी राशि से अपने कर्ज का समय पूर्व भुगतान कर कर्जमुक्त होना चाहे तो उस पर जुर्माना वसूलना कहाँ तक न्यायोचित है? इस पर यदि बैंकों की दलील यह हो कि संपत्ति-देयता प्रबंधन (असेट्स-लायबिलिटी मैनेजमेंट) के लिए यह जरूरी है तो क्यों न इस प्रबंधन को सुधारा जाए।
बैंकिंग क्षेत्र के कतिपय लोगों का भी मनाना है कि इस बारे में सुधार की गुंजाइश है। वित्त मंत्री को आगामी बजट में आम आदमी को कर्ज बोझ से बचाने के लिए उपाय घोषित करना चाहिए।
गत दिनों भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने विभिन्न किस्म के कर्जों के समय पूर्व भुगतान पर जुर्माना वसूलने (पेनल्टी ऑन प्री-पेमेंट ऑफ लोन) के औचित्य पर बैंकों से सवाल किए थे। बैंकों की यह प्रवृत्ति तो कर्ज लेने के इच्छुक लोगों को हतोत्साहित करने जैसी है।
प्रतिस्पर्धा के दौर में बैंकें अपना मुनाफा बढ़ाने की होड़ में ग्राहक हितों और सेवाओं की अनदेखी करती जा रही हैं, जो कई बार साबित भी हो चुका है। बैंकें अब कर्ज राशि के समय पूर्व भुगतान पर जुर्माना वसूलने को बंद करने पर अपनी संपत्ति-देयता प्रबंधन में संतुलन बनाए रखने के लिए जुर्माना वसूलने को उचित ठहरा रही हैं।
सवाल यह उठता है कि क्या बैंकें ग्राहकों के आर्थिक हित की बलि लेने के बजाए अपने प्रबंधन को नहीं सुधार सकती है? हालाँकि बैंकिंग सूत्रों का मानना है कि ग्राहकों के हित में समय पूर्व कर्ज की अदायगी के मामलों के प्रकरणों की गंभीरता को देखते हुए कर्जदार अनुकूल फैसला लेना चाहिए। अगर बैंकें अपने कर्जदारों को राहत नहीं देती हैं तो वित्त मंत्री को बजट में जुर्माना वसूलने पर रोक लगाने की घोषणा कर देश के करोड़ों कर्जदारों को राहत देना चाहिए।
कर्जों के मामलों में पिछले कुछ वर्षों में 'लोन टेकओवर' की प्रवृत्ति बढ़ी है। बैंकों के मध्य लोन की ब्याज दरों के बड़ें अंतर के कारण कर्जदार भी अपनी पूँजी बचाने के लिए लोन टेकओवर को तेजी से अपना रहे हैं। इस मामले में निजी और सरकारी बैंकों की ब्याज दरों के बीच बड़ा अंतर है।
आमतौर पर देखा गया है कि निजी बैंकों के लोन की ब्याज दरें अधिक होने के कारण कर्जदार सरकारी बैंकों के जरिए अपने लोन का टेकओवर करवा लेते हैं। बैंकों खासकर निजी बैंकों को डर है कि लोन के समय पूर्व भुगतान हो जाने से लोन देने के लिए उन्होंने जहाँ से कर्ज लिया था उस कर्ज की ब्याज दर उन्हें खुद के पास से देनी होगी।
क्या समाधान हो सकता है
1. बैंकें या तो अपना धन प्रबंधन सुधार कर जुर्माना वसूलने की प्रवृत्ति को बंद करें।
2. यदि कोई व्यक्ति स्वयं के धनराशि से कर्ज को उतारता है तो इस तरह के मामलों में जुर्माना नहीं वसूला जाना चाहिए।
स्टेट बैंक ऑफ, इंदौर के पूर्व डायरेक्टर राजेंद्र गोयल ने बताया कि बैंकों को ग्राहकों के आर्थिक हितों की रक्षा करने की खातिर अपना संपत्ति-देयता प्रबंधन सुधारना चाहिए। यदि बैंकें खुद जुर्माना वसूलना बंद नहीं करती हैं तो वित्तमंत्री को बजट में इसकी घोषणा करना चाहिए।
पंजाब नेशनल बैंक इंदौर के सर्कल हेड अनिल भान ने बताया कि यदि कर्जदार खुद के संसाधनों से लोन का समय पूर्व भुगतान करना चाहता है तो उस पर पेनल्टी नहीं ली जाना चाहिए, लेकिन लोन टेकओवर के मामलों में इसे खत्म किया जाना कठिन है।
मनीष उपाध्याय