सरकार ने रक्षा बजट में करीब छह हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की घोषणा की है और अब देश की सुरक्षा का खर्च बढ़कर एक लाख 47 हजार 344 करोड़ रुपए पर पहुँच गया है।
वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने पिछले बजट के मुकाबले प्रावधान में 5774 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी करते हुए आश्वासन दिया है कि सैन्य बलों के आधुनिकीकरण के लिए जरूरत पड़ने पर सरकार और भी राशि देने का तैयार रहेगी।
मुखर्जी ने आज संसद में आम बजट पेश करते हुए वर्ष 2010-11 के रक्षा बजट में पूँजीगत मदों के लिए 60 हजार करोड़ रूपए की व्यवस्था की। पूँजीगत खर्च मूल रूप से नए उपकरणों की खरीदारी के लिए होता है।
रक्षा बजट में पिछले साल एक लाख 41 हजार 570 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था जबकि इससे पिछले वर्ष रक्षा बजट एक लाख पाँच हजार करोड़ रुपए था। पिछले साल के बजट में करीब 36 हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए की गई थी।
वर्ष 2008-09 का रक्षा बजट करीब 93 हजार करोड़ था और 2007-08 का बजट करीब 83 हजार करोड़ रुपए था। भारत का रक्षा बजट सकल घरेलू उत्पाद का दो से ढाई प्रतिशत के बीच चल रहा है और सैन्य बलों के आधुनिकीकरण की जरूरतों को देखते हुए इस बार भी भारी बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही थी।
सैन्य बलों ने पिछले बजट में से करीब 5000 करोड़ रुपए बिना खर्च किए हुए लौटाए हैं और इस तरह आगामी रक्षा बजट में यह बढ़ोतरी दस हजार करोड़ रुपए से अधिक बैठती है। (वार्ता)