वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा संसद में सोमवार को पेश आम बजट से आम आदमी तो खुश नजर आया, लेकिन सेवा कर का दायरा बढ़ाए जाने से मध्यम वर्ग नाराज दिखा, जबकि महिलाओं के लिए विशेष घोषणा न होने तथा महँगाई को काबू करने के उपाय न किए जाने से आधी आबादी आग-बबूला हो गई।
सामाजिक क्षेत्र के आवंटन में 17 प्रतिशत की वृद्धि, मनरेगा के तहत मजदूरी बढ़ाने, आँगनवाड़ी कर्मियों का पारिश्रमिक दोगुना करके प्रतिमाह 3000 करने तथा आँगनवाड़ी सहायिकाओं का वेतन बढ़ाकर 1500 रुपए प्रतिमाह करने, अनुसूजित जनजातियों के लिए उपयोजना और जनजातीय योजना के लिए विशेष आवंटन तथा अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए मैट्रिक पूर्व छात्रवृत्ति योजना जैसी घोषणाओं से आम आदमी खुश नजर आया।
ठेले पर चाय-समोसा बेचने वाले कालू ने केरोसिन और एलपीजी पर नकद सब्सिडी मिलने जैसे उपाय का स्वागत करते हुए कहा कि इससे उन्हें बिचौलियों के शिकंजे से राहत मिलेगी। आँगनवाड़ी कर्मी सुधा राय ने उनका वेतन दोगुना किए जाने पर अपार खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि महँगाई के इस जमाने में उन्हें इससे थोड़ी राहत मिलेगी और वे नए उत्साह से अपना काम कर सकेंगी।
मेट्रो में काम करने वाली रंजना ने कहा कि वैसे तो उन्हें बजट के बारे में खास जानकारी नहीं है, लेकिन लोगों की बातचीत से पता लगा है कि इसमें गरीबों के लिए काफी कुछ किया गया है। रिक्शाचालक रामबचन और बरतन और झाडू-पोंछा करने वाली वाली ममता और दिहाड़ी मजदूर बच्चू जैसे लोगों को इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि आज बजट जैसी कोई चीज पेश हुई है।
मल्टी नेशनल कंपनी में काम करने वाले प्रशांत सिन्हा ने एसी अस्पतालों में इलाज, एसी रेस्त्राँ में खाना खाने और एलआईसी की कुछ स्कीमों को सेवा कर के दायरे में लाये जाने पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सरकार मध्यम वर्ग को लूट लेना चाहती है। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। किसी को एसी अस्पताल में जाने का शौक नहीं होता।
नौकरीपेशा अजय कुमार ने बजट मध्यम वर्ग विरोधी बताते हुए कहा कि नौकरीपेशा वर्ग की जेब पर डाका डालने की कोशिश की गई है। आभूषण की दुकान करने वाले विनय ने ब्रांडेड सोना महँगा किए जाने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सोना महँगा होने से इसकी माँग पहले से प्रभावित है। इस घोषणा से उनके व्यवसाय पर बुरा असर पड़ेगा। (भाषा)