Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

प्रोत्साहन वापसी का संदेश दे सकती है आर्थिक समीक्षा

हमें फॉलो करें प्रोत्साहन वापसी का संदेश दे सकती है आर्थिक समीक्षा
नई दिल्ली , बुधवार, 23 फ़रवरी 2011 (21:06 IST)
विकसित देशों में धीमी प्रगति और घरेलू मोर्चे पर खाद्यान्नों की ऊँची महँगाई दर के बावजूद अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए आर्थिक समीक्षा वर्ष 2011-12 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 9 प्रतिशत वृद्धि और अगामी बजट में प्रोत्साहन पैकेज वापस लेने का सिलसिला और तेज करने का संदेश दे सकती है।

वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी इसी शुक्रवार को संसद में वर्ष 2010-11 की आर्थिक समीक्षा पेश करेंगे। इसमें उच्च मुद्रास्फीति और यूरो क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में सुधार की मंद गति को लेकर घरेलू अर्थव्यवस्था के समक्ष खड़ी चिंताओं को भी उजागर किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार सर्वे में आर्थिक सुधारों को गति देने, विशेषकर उच्च वृद्धि दर हासिल करने के मद्देनजर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सीमा बढ़ाए जाने पर भी जोर दिये जाने की उम्मीद है।

सोमवार को संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने कहा कि आत्मसंतोष के लिए कोई जगह नहीं है। व्यापक मोर्चे पर हमें सुधारों की गति को बनाए रखना होगा। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र के साथ-साथ सरकारी और घरेलू के साथ साथ विदेशी निवेश विशेषकर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहन के लिए घरेलू निवेश माहौल ज्यादा अनुकूल होना चाहिए।

बजट से पूर्व पेश किए जाने वाले आर्थिक सर्वे में चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 8.6 प्रतिशत रखा जा सकता है। पिछले वर्ष की आर्थिक समीक्षा में वर्ष 2010-11 के दौरान विभिन्न कारकों पर निर्भरता व्यक्त करते हुए कहा गया था कि 8.5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि रहेगी। मानसून और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार के आधार पर वृद्धि इससे 0.25 प्रतिशत ऊपर अथवा नीचे भी रह सकती है।

वर्ष 2009-10 की आर्थिक समीक्षा में यह भी कहा गया था कि वर्ष 2011-12 में आर्थिक वृद्धि 9 प्रतिशत की दायरे को तोड़ते हुए आगे बढ़ सकती है।

जहाँ तक अर्थव्यवस्था में सुधार की बात है सर्वे में वैश्विक आर्थिक संकट से पैदा चुनौतियों का सामाना करने के लिए दिए गए प्रोत्साहन पैकजों की वापसी के साथ साथ राजकोषीय मजबूती पर भी जोर दिया जा सकता है। खाद्य पदार्थ की बढ़ती महँगाई से मुकाबला करने के लिए कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर भी जोर होगा।

दिसंबर में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 18.23 प्रतिशत हो गई थी, जो कि फरवरी में कम होकर 11.05 प्रतिशत के स्तर पर आ गई है। हालाँकि थोक मूल्य सूचकांक अभी भी 8 प्रतिशत से उपर बना हुआ है।

इसके अलावा सर्वे में बुनियादी ढाँचा विकास, चालू खाता घाटा (सीएडी), जरूरत से अधिक पोर्टफोलियो निवेश प्रवाह, निर्यात को बढ़ाने आदि पर भी चर्चा होने की संभावना है। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi