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वो कत्ल भी करते हैं तो...

हमें फॉलो करें वो कत्ल भी करते हैं तो...
नई ‍दिल्ली , शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011 (23:42 IST)
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लोकसभा में शुक्रवार को रेलमंत्री ममता बनर्जी द्वारा रेल बजट पेश किए जाने के मौके पर जहाँ सदन में कुछ विपक्षी सदस्यों के साथ उनकी गर्मागर्म बहस हुई वहीं ‘दीदी’ की शेरो शायरी और दोहे कविताओं को स्पीकर ने भी सराहा।

सदन में बजट भाषण की शुरुआत करने के समय ही रेलमंत्री ने अध्यक्ष मीरा कुमार से समय को जाया होने से बचाने के लिए कुछ रूटीन चीजों को पढ़ने से बचने की अनुमति माँगी लेकिन कहा कि ये सब बातें बजट भाषण में रहेंगी।

इसी क्रम में वे भाषण के बीच में कुछ पैराग्राफ को छोड़ते हुए आगे बढ़ती रहीं लेकिन एक जगह अध्यक्ष ने उनसे अपील की कि उनके भाषण में जो कुछ खूबसूरत पंक्तियां लिखी गई हैं, उन्हें वे मेहरबानी कर बिना पढ़े न छोड़ें।

इसी पर ममता बनर्जी ने शहीदों के सम्मान में की जाने वाली बजट घोषणाओं से पूर्व लता मंगेशकर द्वारा गाए एक प्रसिद्ध गीत की पंक्तियां कुछ इस प्रकार पढ़ीं....‘कोई सिख कोई जाट मराठा, कोई गोरखा कोई मद्रासी, सरहद पर मरने वाला हर वीर था भारतवासी। जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी।’

उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत ही एक शेर से की। ‘हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता।’

जन हितैषी बजट है : रेल मंत्री ममता बनर्जी ने आज उन आरोपों को गलत बताया कि उनका रेल बजट लोकलुभावन या पश्चिम बंगाल केन्द्रित है। उन्होंने कहा कि उन्होंने इस बजट में पूरे देश का ध्यान रखा है और हर क्षेत्र के लिए परियोजनाएँ दी हैं।

संसद में वर्ष 2011-2012 का रेल बजट पेश करने के बाद संसद भवन में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए ममता ने माकपा के उस आरोप को भी गलत बताया कि उन्होंने रेलवे को कंगाल बना दिया है। उन्होंने उल्टे कहा कि उनकी सरकार (पश्चिम बंगाल) कंगाल है। उस पर दो लाख करोड़ रुपए का कर्ज है।

लोकलुभावन बजट के आरोपों का जवाब देते हुए ममता ने कहा कि वे अवसरवादी लोग हैं। अगर यह आम लोगों के अनुकूल बजट है तो ठीक है इसे लोकलुभावन रहने दें। जब वे जानते हैं कि वे मुकाबला नहीं कर सकते तो वे इसी तरह का आरोप लगाते हैं। हमने जम्मू कश्मीर मणिपुर और असम सहित पूरे देश के लिए परियोजनाएँ दी हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे विरोधी कल तक यह कह रहे थे कि रेलवे लाभांश अदा नहीं कर पाएगा। आज आपने देखा जादू। हमारी वित्तीय स्थिति काफी मजबूत है। हमें थोड़ी-सी वित्तीय कठिनाई छठे वेतन आयोग की सिफारिशें को लागू करने के कारण हुई है।

ममता ने इस बात को गलत बताया कि इस रेल बजट में सुरक्षा संरक्षा पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा को पूरी प्राथमिकता दी गई है। आठ क्षेत्रीय रेलवे में टक्कररोधी उपकरण लगाने को स्वीकृति दी गई है। इसके अलावा जीपीएस आधारित ‘फाग सेक’ उपकरण लगाने तथा एकल नंबर प्रणाली पर आधारित अखिल भारतीय सुरक्षा हेल्प लाइन जैसे उपाय शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि रेलवे की आर्थिक स्थिति अच्छी है। सार्वजनिक निजी भागीदारी के साथ परियोजना लगाने के लिए 85 प्रस्ताव आए हैं और इन पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए रेलवे बोर्ड की अध्यक्षता में एक एकल खिड़की योजना शुरू की गई है।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने स्वीकार किया कि पिछले बजट में कुछ स्टेशनों को विश्व स्तरीय स्टेशन बनाने की योजना गति नहीं प्राप्त कर पाई। यह पूछे जाने पर कि किराया भाड़ा बढ़ाए बगैर वह रेल परियोजनाओं के लिए पैसा कैसे जुटा पाएँगी? उन्होंने कहा, ‘किराया बढ़ाना तो एक आसान विकल्प है। यह कोई समाधान नहीं है।’

उन्होंने रेलवे के राजस्व के नुकसान के लिए रेल रोको आंदोलनों को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि रेलवे विभिन्न किस्म के आंदोलनों के लिए एक आसान निशाना बन गया है, लेकिन कानून व्यवस्था हमारे हाथ में नहीं है। यह राज्य का विषय है और राज्य सरकारों को इस मामले में रेलवे को सहयोग करना चाहिए।

सुपर एसी श्रेणी शुरू करने की योजना के बारे में पूछे जाने पर रेलमंत्री ने कहा कि ज्यादा राजस्व हासिल करने का यह एक व्यवसायिक नुस्खा है। (भाषा)

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