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बजट 2012 : टैक्स में मिल सकती है राहत

आयकर छूट सीमा दो लाख होने की उम्मीद

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नई दिल्ली , गुरुवार, 15 मार्च 2012 (20:08 IST)
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संसद में शुक्रवार को पेश होने वाले आम बजट में आम आदमी और नौकरीपेशा वर्ग को कुछ राहत मिल सकती है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को मौजूदा 1.80 लाख रुपए से बढ़ाकर दो लाख रुपए कर सकते हैं।

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी कल संसद में 2012-13 का आम बजट पेश करेंगे। उम्मीद की जा रही है कि वह आयकर स्लैब के दायरे में भी कुछ फेरबदल कर सकते हैं। संसद की वित्त संबंधी स्थायी समिति ने प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक (डीटीसी) पर दी गई अपनी सिफारिशों में भी इस बारे में कुछ सुझाव दिए हैं।

डीटीसी विधेयक में आयकर छूट सीमा को दो लाख रुपए किए जाने का प्रावधान है जबकि समिति ने इसे बढ़ाकर तीन लाख रुपए करने का सुझाव दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि वित्त मंत्री इस बजट में इसे दो लाख रुपए कर सकते हैं। 10 प्रतिशत, 20 और 30 प्रतिशत कर के आयवर्ग में भी कुछ फेरबदल हो सकता है।

वर्तमान में 1.80 लाख से पांच लाख रुपए तक सालाना आय पर 10 प्रतिशत कर लगता है, जबकि पांच से आठ लाख रुपए तक की आय पर 20 और आठ लाख रुपए से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत कर लगता है।

अगले बजट में इसमें मामूली फेरबदल कर दो से पांच लाख की आय पर 10 प्रतिशत, पांच से दस लाख की आय पर 20 प्रतिशत और 10 लाख से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत किया जा सकता है।

आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार बढ़ते राजकोषीय घाटे और जटिल वैश्विक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री बजट में आय और व्यय के मोर्चे पर संतुलन के उपाय कर सकते हैं। कर अपवंचना रोकने और सब्सिडी के बेजा इस्तेमाल को रोकने की दिशा में कुछ ठोस पहल की जा सकती है।

वित्त मंत्री के लिए हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद सुधारों को आगे बढ़ाने और सख्त कदम उठाना मुश्किल होगा। बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश जैसे कई सुधार हैं जिन पर सहयोगी दलों का समर्थन नहीं मिल पाने की वजह से सरकार आगे कदम नहीं बढ़ा पाई है।

पेट्रोलियम पदार्थो पर बढ़ती सब्सिडी के मद्देनजर सरकार डीजल कारों पर विशेष उत्पाद शुल्क लगा सकती है। उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम पदार्थों के लगातार बढ़ते दाम से सरकारी खजाने और तेल कंपनियों पर भारी सब्सिडी बोझ बढ़ा है। राजकोषीय घाटे पर भी इसका असर देखा जा रहा है।

आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर भी सरकार के समक्ष चुनौती बनी हुई है। चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि घटकर 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया जा रहा है जबकि इससे पिछले लगातार दो वर्ष में यह 8.4 प्रतिशत रही। वर्ष 2012-13 अगली पंचवर्षीय योजना (12वीं योजना) का पहला साल है, इस दिशा में भी सरकार को कदम उठाने होंगे।

संसद में आज पेश आर्थिक समीक्षा में औद्योगिक क्षेत्र की कमजोर पड़ती स्थिति में सुधार लाने पर जोर दिया गया है। इसमें कृषि और सेवा क्षेत्र के प्रदर्शन पर संतोष व्यक्त करते हुए देश में बेहतर कामकाज का माहौल बनाने की जरूरत बताई गई है।

थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति फरवरी में फिर बढ़कर 6.95 प्रतिशत हो गई है, इससे रिजर्व बैंक की चिंता बढ़ी है। केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि भविष्य में ब्याज दरों में गिरावट मुद्रास्फीति की स्थिति पर निर्भर करेगी। (भाषा)

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