वित्त मंत्री अरुण जेटली के दूसरे बजट से लोगों को जितनी उम्मीदें थीं, उनमें से ज्यादातर आम लोगों की उम्मीदें धूल में मिल गई हैं। पहले उम्मीद की जा रही थी कि उनके बजट प्रस्तावों में प्रत्यक्ष आय कर की दरों में परिवर्तन किया जाएगा और कम से कम तीन लाख रुपए तक की राशि को टैक्स फ्री रखा जाएगा लेकिन उन्होंने आम आदमी को कोई राहत नहीं दी और कर दरों को पूर्ववत रखा है।
उनसे उम्मीद की जा रही थी कि वे प्रत्यक्ष कर दरों में बदलाव करेंगे और डायरेक्ट टैक्स कोड को सरल और सक्षम बनाएंगे लेकिन उन्होंने आम आदमी की बचतों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। पेंशन फंड पर छूट एक लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपए की गई। हेल्थ इंश्योरेंस पर छूट की सीमा 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार की गई। वरिष्ठ नागरिकों के लिए सीमा 30 हजार तक की गई है। सर्विस टैक्स 12.36 से बढ़ाकर 14 फीसदी करने का प्रस्ताव है जोकि आम आदमी पर अतिरिक्त बोझ होगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट में नौकरीपेशा लोगों को कोई राहत नहीं दी है। बजट में इनकम टैक्स की छूट और स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
अभी तक ढाई लाख रुपए की इनकम पर टैक्स में छूट मिलती थी और यही छूट अगले वित्त वर्ष में भी लागू रहेगी। माना जा रहा था कि इनकम टैक्स छूट तीन लाख रुपए हो जाएगी, लेकिन वित्त मंत्री ने नौकरीपेशा लोगों की यह उम्मीद पूरी नहीं की। सीनियर सिटीजन के लिए यह छूट पहले की तरह तीन लाख रुपए रहेगी।
पहले की तरह अब भी 2.5 से 5 लाख रुपए की इनकम पर 10 फीसदी, 5 से 10 लाख पर 20 फीसदी और 10 लाख से ऊपर की इनकम पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा। जबकि सीनियर सिटीजन को 3 से 5 लाख रुपए की इनकम पर 10 फीसदी, 5 से 10 लाख पर 20 फीसदी और 10 लाख से ऊपर की इनकम पर 30 फीसदी टैक्स देना होगा।