नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने शनिवार को रक्षा बजट में करीब 10. 95 फीसदी की वृद्धि करते हुए आयात पर जरूरत से अधिक निर्भरता को कम करने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ को गति प्रदान करने के मकसद से अगले वित्त वर्ष में 2. 46 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।
वर्ष 2014-15 में रक्षा क्षेत्र के लिए संशोधित अनुमान 2.22 लाख करोड़ रुपए का था। सरकार ने पिछले साल रक्षा क्षेत्र के लिए बजट में 2.29 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए थे लेकिन इसे संशोधित कर 2,22,370 करोड़ रुपए किया गया था।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बात को रेखांकित किया कि हमारी मातृ भूमि के एक एक इंच क्षेत्र की रक्षा सबसे उपर है।
उन्होंने कहा कि अभी तक हम आयात पर जरूरत से अधिक निर्भर रहे हैं। उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार पहले ही रक्षा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति प्रदान कर चुकी है।
जेटली ने कहा कि यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि भारतीय नियंत्रण वाली ईकाइयां भी रक्षा उपकरणों की विनिर्माता बन सकें ‘‘न केवल हमारे लिए बल्कि आयात के लिए भी।
रक्षा सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों पर जेटली ने कहा कि सरकार रक्षा उपकरणों में ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत आत्मनिर्भरता की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार रक्षा उपकरणों की खरीद संबंधी फैसलों में पारदर्शी और त्वरित रही है।
जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा, 'इस वर्ष भी, मैंने सशस्त्र बलों की जरूरतों के लिए पर्याप्त रूप से व्यवस्था की है। इस वर्ष 2,22,370 करोड़ रुपए के व्यय की संभावना के विपरीत वर्ष 2015-16 के लिए बजटीय आवंटन 2,46,727 करोड़ रुपए किया गया है।' (भाषा)