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बजट में पैसा जुटाने पर जोर

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, शनिवार, 28 फ़रवरी 2015 (14:14 IST)
नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज वित्त वर्ष 2015-16 का बजट पेश किया। यह एनडीए सरकार का पहला पूर्ण बजट था और उम्मीद की जा रही थी कि यह बिग बैंग (आरपार) वाला साहसिक बजट होगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

सरकार 2015 के बजट में आम आदमी के अनुकूल उपायों की घोषणा कर सकती थी  तथा साथ ही 'मेक इन इंडिया' अभियान को आगे बढ़ाने के प्रबंध भी उसे करने थे। पर बजट में ऐसा कुछ नजर नहीं आता।

आम बजट दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी की करारी हार के बाद पेश किया गया  है। इसके अलावा इस साल बिहार विधानसभा चुनाव भी होना है। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि यह बजट लोकलुभावन होगा।

वित्त मंत्री ने ना तो कर स्लैब बढ़ाए हैं और बचत उत्पादों में निवेश की सीमा में बढ़ोतरी को भी पर्याप्त नहीं माना जा सकता है। जेटली का जोर राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर आगे बढ़ने पर रहा और राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.6 प्रतिशत पर रखेंगे।

चालू वित्त वर्ष में यह 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इस अभियान का मकसद देश को वैश्विक विनिर्माण हब बनाने और रोजगार का सृजन करने के लिए पैसा जुटाना है।
इसलिए सारा जोर पैसा जुटाने पर है।

इस बजट में स्वच्छ भारत, हेरिटेज धरोहरों और अच्छी सड़कों से पर्यटन के द्वारा पैसा जुटाने पर जोर दिया गया है। सरकार चाहती है कि लोगों को टैक्स बचाने के लिए सरकार की योजनाओं में पैसा लगाने के लिए मजबूर होना पड़े। उद्योग जगत को फायदा पहुंचाया गया है और शायद इसी कारण से सोनिया गांधी का कहना है कि यह बजट कंपनियों के लिए बनाया गया है।

सरकार ने रोजगार बढ़ाने के लिए कॉर्पोरेट टैक्स घटाया है लेकिन लेकिन यह कटौती भी चार वर्षों के दौरान की जाएगी। इससे कंपनियों को बहुत अधिक लाभ की उम्मीद नहीं करना चाहिए।

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