नई दिल्ली। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सस्ते घरों को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा दे दिया है। इससे गरीब नागरिकों के लिए सस्ते घरों की आपूर्ति तेजी से बढ़ेगी। अब तक बिल्डरों को बैंकों से कर्ज मिलने में काफी दिक्कतें होती थीं, लेकिन इस निर्णय से काफी हद तक यह समस्या हल हो जाएगी।
ये होगा कैसे : सरकार ने 2022 तक गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को आवास देने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पाने में यह फैसला काफी मददगार होगा। सस्ते घरों का सरकार लक्ष्य लंबे समय से पिछड़ा हुआ है। लेकिन लगता है कि सरकार के इस कदम से यह महत्वाकांक्षी योजना रफ्तार पकड़ लेगी।
दूसरा बड़ा बदलाव : इसके अलावा सस्ते घरों की श्रेणी में पहले चार महानगरों में 30 वर्ग मीटर के घर ही शामिल होते थे और इसके अलावा पूरे भारत में यह एरिया 60 मीटर था। इसमें पहले पूरा बिल्डअप एरिया गिना जाता था।
बिल्डअप एरिया वह एरिया होता है जिस पर मकान बना होता है इसमें नींव दीवारें शामिल होती हैं। अब इस को कारपेट एरिया में तब्दील कर दिया गया है। कारपेट एरिया चार दीवारों के बीच घिरा रहने योग्य एरिया होता है। इस निर्णय की वजह से लोगों को अब बड़े मकान मिल पाएंगे।