नई दिल्ली। विपक्ष ने लोकसभा में पेश 2017-18 के बजट को केवल शेर-ओ-शायरी वाला बजट करार देते हुए कहा कि यह पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर जनता को गुमराह करने वाला बजट है। हालांकि सत्ता पक्ष ने इसे गरीबों, किसानों एवं कारोबारियों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया संतुलित बजट करार दिया।
लोकसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा बजट पेश किए जाने के बाद संसद परिसर में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें बजट से बड़े 'धमाके' की उम्मीद थी, लेकिन यह 'फुस्स' करके रह गया।
गांधी ने कहा कि यह शेर-ओ-शायरी वाला बजट है। इसमें न तो किसानों के लिए कुछ है, न युवाओं और बेरोजगारों के लिए ही। उन्होंने कहा कि सरकार ने रोजगार सृजन के लिए भी कोई प्रावधान नहीं किए हैं, हालांकि उन्होंने चुनाव सुधार के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की।
कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने कहा कि बजट में सिर्फ लीपापोती करने का प्रयास किया गया है। सरकार ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर बजट के माध्यम से जनता को गुमराह करने का प्रयास किया गया है।
कांग्रेस के ही एम. वीरप्पा मोइली ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि नोटबंदी के कारण अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान के प्रयास सरकार की ओर से किये जाएंगे, लेकिन बजट में ऐसा कुछ भी नहीं दिखा।
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने बजट को क्रांतिकारी और कल्याणकारी बजट करार दिया। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने बजट में जहां किसानों और गरीबों से जुड़ी कल्याणकारी योजनाओं को समाहित किया है, वहीं अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए भी उपाय किए हैं।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा खाद्य आपूर्ति मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने भी बजट की सराहना करते हुए कहा कि सरकार ने बहुत ही बढ़िया बजट पेश किया है, जिसमें हर वर्ग की चिंता की गई है, चाहे वह किसान हो या व्यापारी, गरीब हो या अमीर।
कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि सरकार ने खेती-किसानी को गति देने के लिए हरसंभव प्रयास किए हैं। बजट में कई योजनाएं ऐसी हैं जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के रामदास आठवले ने भी बजट का स्वागत किया है तथा कहा है कि इससे देश के विकास को गति मिलेगी। (वार्ता)