नई दिल्ली। बजट सत्र की पूर्वसंध्या पर विपक्षी दलों ने आज इस बात का संकेत दिया कि संसद के इस सत्र में नोटबंदी का मुद्दा जोरशोर से उठेगा जिसके कारण पिछले शीतकालीन सत्र के दौरान कोई कामकाज नहीं हो सका था । विपक्षी दलों ने इसके साथ ही कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के बीच समय से पहले बजट पेश करने को लेकर भी अप्रसन्नता प्रकट की।
सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के दौरान कांग्रेस और माकपा के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने सत्र के दौरान नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की और कहा कि वे फिर से इस मुद्दे को उठायेंगे क्योंकि इससे जनता काफी प्रभावित हुई है।
नोटबंदी की सबसे मुखर आलोचक तृणमूल कांग्रेस ने सर्वदलीय बैठक में हिस्सा नहीं लिया और कहा कि उसके सांसद बजट सत्र के पहले दो दिन नोटबंदी के विरोधस्वरूप संसद में उपस्थित नहीं रहेंगे। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार को बजट सत्र समय से पहले नहीं बुलाना चाहिए था।
कांग्रेस नेता ने 2012 में उत्पन्न ऐसी ही स्थिति का जिक्र किया जब तत्कालीन संप्रग सरकार ने राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बजट सत्र को टाल दिया था। आजाद ने कहा कि हमने सरकार से कहा है कि उन्हें बजट सत्र बुलाने के बारे में ऐसी घोषणा से बचना चाहिए था जो पांच राज्यों में चुनाव के दौरान समान अवसर उपलब्ध कराने को प्रभावित करता हो। कांग्रेस के एक अन्य नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और माकपा महासचिव सीताराम येचूरी ने मांग की कि बजट सत्र के पहले हिस्से में नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा करायी जानी चाहिए।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि सरकार को बजट सत्र के दूसरे हिस्से से पहले एक और सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए। येचूरी ने कहा कि हमने सरकार को बताया है कि नोटबंदी के मुद्दे पर दो दिनों तक चर्चा करायी जानी चाहिए क्योंकि सरकार के इस कदम के कारण पूरे भारत के लोग प्रभावित हुए हैं। (भाषा)