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एक दिन सकारात्मक सोच के लिए

पॉजिटिव थिंकिंग डे पर विशेष

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महात्मा गांधी का प्रसिद्ध कथन है कि इंसान वैसा ही बनता जाता है जैसी वह सोच रखता है। यह कथन छोटे या बड़े हर व्यक्ति पर लागू होता है। आप जिंदगी में सफल तभी हो सकते हैं जब आप सफलता हासिल करने के प्रति अपनी सोच को सकारात्मक रखेंगे। अगर अपनी खामियां ढूंढ-ढूंढकर खुद को कमतर ही आंकते रहेंगे तो कभी सफलता की ओर कदम नहीं बढ़ा सकेंगे।

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आर्ट ऑफ लिविंग में विश्वास रखने वाली दीपा पांडे कहती हैं, 'आप जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल तभी हो सकते हैं जब आप अपनी काबिलियत का सौ प्रतिशत इस्तेमाल करें।

अगर आप थोड़ी सी परेशानियों से घिरने पर खुद की क्षमताओं पर ही संदेह करने लगेंगे तो सफल होना मुश्किल है। हो सकता है कि एक बार प्रयास करने पर सफलता न मिले लेकिन अगर आप नकारात्मकता से दूर रहते हुए पूरे मन से प्रयास करेंगे तो सफलता मिलनी तय है।'

सकारात्मक सोच का संबंध सिर्फ आपके करियर से ही नहीं है, यह आपके परिवारिक और सामाजिक जीवन से भी जुड़ी है। नकारात्मक सोच वाले व्यक्ति अपने आसपास एक ऐसा नकारात्मक माहौल बना लेते हैं। जो उनके साथ-साथ उनके आसपास के लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है।

कभी गौर करें कि जब आप जीवन के प्रति सकारात्मक बातें करते हैं तो बहुत से लोग आपकी ओर आकर्षि‍त होते हैं वहीं अगर आप हर समय जीवन के नकारात्मक पहलुओं को ही कुरेदते रहते हैं तो हर कोई आपके साथ से बचना ही चाहता है।

जीवन से जुड़ी अपेक्षाएं पूरी न होने पर निराशा स्वाभाविक है लेकिन अगर आप उस निराशा के अंधेरे में ही डूबे रहेंगे तो आशा की दूसरी किरणों को पहचान भी नहीं पाएंगे। याद कीजिए फिल्म थ्री इडियट्स में आमिर खान का वह जुमला-‘ऑल इज वैल’।

आमिर इस फिल्म में कहते भी हैं कि यह जुमला कहने का यह मतलब नहीं कि सारी परेशानियां खत्म हो गईं। बल्कि इसे बोलने का मकसद तो हमारे सामने पेश आने वाली परेशानियों से लड़ने की ताकत हासिल करना है।

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जीवन में उतार-चढ़ाव आना लाजमी है। लेकिन आपके असल व्यक्तित्व की पहचान आपके उस रवैये से है जो आप परेशानियों में घिरा होने पर अपनाते हैं। कुछ लोग जीवन के सकारात्मक पहलुओं को ढूंढ-ढूंढकर अपनी जिंदगी में उत्साह बरकरार रखते हैं और कुछ लोग नकारात्मकता से इस कदर घिर जाते हैं कि कोई गलत कदम उठाने से भी नहीं चूकते।

जयपुर की मनोविज्ञानी अनामिका पापरीवाल कहती हैं, 'अपनी जिंदगी का एक लक्ष्य बनाकर चलें तो दिमाग को भटकने से बचाया जा सकता है। किसी भी अप्रिय स्थिति का सारा दोष खुद पर ही न मढ़ लें। इसके लिए परिस्थितियां भी दोषी हो सकती हैं। आपकी काबिलियत इसमें है कि आप इन परिस्थितियों को खुद पर हावी न होने दें और खुद में सकारात्मकता का संचार करें। इसमें आपके करीबी दोस्त व रिश्तेदार आपकी मदद कर सकते हैं।'

जिस दिन आप नकारात्मक चीजों में भी सकारात्मक पक्ष तलाशना सीख जाएंगे उस दिन कोई भी मुश्किल आपका मनोबल गिराने में सफल नहीं हो पाएगी।

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