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गुरु-मंत्र : मुड़-मुड़ के ना देख!

महक खुराना

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हमें फॉलो करें गुरुमंत्र
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दिसंबर का माह... साल बस जाने को है... और इस जाते हुए साल के साथ विदा कर दीजिए मन की खट्टी-कसैली यादें और आगे सरका दें मीठे-प्यारे लम्हे। बिसरा दें रिश्तों की कडुवाहट और मन का मैल। ...क्यों न गुजरते साल के साथ मन की खिड़कियों और दीवारों से खराब और बदरंग हो चुके पर्दे उतारे जाएं और मन के घर को नए ढंग से सजाया जाए। मन की दीवारों पर बस अच्छी यादों की तस्वीर लगाई जाए और दिल से सारे गिले-शिकवे भुलाकर अपनों के साथ नई शुरुआत की जाए

तय कीजिए कि अब से मन के आंगन में बस खूबसूरत यादों के फूल महकेंगे, दुःख, चिंता, तनाव और निराशा के साये से निकलकर आप नई जिंदगी की शुरुआत करेंगे। दूसरों को अपने लिए दुःख पहुंचाने की वजह मानने की बात दिल से निकालकर अपने आप से खुश रहना सीखें।

जहर की शीशी फोड़ दो
यदि आपका अपनी बहन, भाई, सास, भाभी, देवर, पिता या किसी दोस्त से किसी छोटी-सी बात को लेकर झगड़ा हो गया है या आपके रिश्तों के बीच कोई तनाव चल रहा है तो इस जाते हुए साल के साथ उस तनाव को भी 'बाय-बाय' कह दीजिए। अपने दिल-ओ-दिमाग में भरी जहर की शीशी को फोड़ डालिए। यह जहर आपकी जिंदगी में फैले, इससे पहले बेहतर होगा कि आप इससे छुटकारा पा लें। तय कर लीजिए कि आने वाले साल में आप अपने रूठे हुए रिश्तेदारों को मनाकर एक नई शुरुआत करेंगे।

बुहार दो दिमाग का जंग
हम में से कई के दिमाग में कई पुरानी दुःख पहुंचाने वाली बातें कबाड़ की तरह साल-दर-साल इकट्ठी होती जा रही हैं। आपने कभी इस पर गौर ही नहीं किया कि इसकी वजह से आप अपने आपको, दिमाग को कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं। कोशिश करें कि इस साल के अंत तक आप अपने दिमाग में इकट्ठा यह सारा जंग साफ कर देंगे। गर आपके साथ किसी ने कोई धोखा, अविश्वास या बेईमानी की हो तो तमाम बातें भुलाकर बस भविष्य में सावधानी और समझदारी से काम करने की बात याद रखें।

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आजमाएं कुछ अटपटा
समय पर उठना फिर घड़ी की सुइयों की तरह उसी गति से अपने तयशुदा दायरे में काम करना। एक ही रास्ते से ऑफिस जाना, एक ही तरह के कपड़े पहनना और उन्हीं गिने-चुने लोग से मेल-मिलाप यानी सब कुछ एक जैसा...। इस एक ही तरह की दिनचर्या से आपको ऊब होने लगे इससे पहले आप अपनी एकरसता के घेरे से बाहर निकलिए।

छुट्टी के दिन घर में अटपटे-से कपड़े पहनिए, खाने में कुछ नया ट्राय करिए, आभासी दुनिया के दोस्तों की बजाए वास्तविक दुनिया के दोस्तों की लिस्ट बढ़ाइए और घूमने जाने के लिए भी कुछ नई जगह तलाशिए। तो फिर देर किस बात की, आने वाले साल में कुछ अटपटा करने की प्लानिंग अभी से कर लीजिए।

ढीली छोड़ो तनाव की रस्सी
वर्तमान की जीवनशैली के साथ तनाव भी मानो नत्थी हो गया है। घर और कार्यस्थल पर बढ़ते तनाव की वजह से दिनोदिन मानसिक बीमारियां बढ़ती जा रही हैं। कई बार तो लोग बहुत छोटी-छोटी बातों की वजह से तनाव में आ जाते हैं। जब काम करना ही तो तनाव में रहकर क्यों किया जाए? आप खुशी-खुशी अपना काम करिए। तनाव की यह जो रस्सी आपने अपने इर्द-गिर्द बांधे रखी है, उसे ढीला छोड़ दीजिए। सच मानिए, इससे आप अच्छा महसूस करेंगे।

साथ रखें पेशंस की पुड़िया
आज सभी चाहते हैं कि उनका हर काम पलक झपकते ही हो जाए। नौकरी लगते ही लाखों का पैकेज और ऊंचा पद पाने की चाह, किसी ने कुछ कह दिया तो तुरंत प्रतिक्रिया देना, किसी भी बात पर नाराज हो जाना अधिकतर लोगों की आदत में शुमार हो चुका है। इस आदत की वजह से कई लोग बेवजह परेशानी मोल ले बैठते हैं। लाइफ में इन बेवजह की परेशानियों से बचने के लिए आने वाले साल से आप अपने साथ हमेशा पेशंस की पुड़िया रखें। यह आपको किसी दुकान पर नहीं मिलेगी। इसे आपको खुद बनाना होगा।

आगे पाठ-पीछे सपाट अच्छा है कभी-कभी
वैसे तो बच्चों को सिखाया जाता है कि आगे की पढ़ाई के साथ पीछे का भी याद रखें। लेकिन वास्तविक जिंदगी में आपके लिए कभी-कभी पिछली बातों को भूलना ठीक होगा। यदि कुछ बातें और यादें आपको परेशान करती हैं तो उन्हें भूलना ही बेहतर है। आप भी फिल्मी अंदाज में अपनी तमाम बुरी यादों को फ्लश करके चिंतामुक्त हो जाएँ। नया साल आपके लिए खुशियाँ लाए 'देन, वाय दिस कोलावेरी डी?'

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