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जीत का मंत्र - टाइम मैनेजमेंट

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- कोमिका भारद्वाज

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आने वाले दो-तीन महीनों में कई प्रमुख प्रतियोगी परीक्षाएँ होने वाली हैं जैसे मई में सीबीएसई-एआईपीएमटी (मेडिसिन) की प्रमुख परीक्षा, एआई ईईई, मैट (मैनेजमेंट), आईआईएमसी (जर्नलिज्म), जून में यूपीएससी (सिविल सेवा) परीक्षा आदि। ये परीक्षाएँ न सिर्फ विद्यार्थियों से अथक परिश्रम की दरकार रखती हैं बल्कि समय प्रबंधन की भी माँग करती हैं। क्योंकि 80 प्रतिशत दिशाहीन प्रयास से बमुश्किल 20 प्रतिशत परिणाम ही आता है इसलिए अभी से विद्यार्थियों को अपनी कमर कस लेनी चाहिए।

प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी जितनी जल्दी शुरू की जाए, उतना अच्छा है। सबसे कठिन प्रवेश परीक्षा माने जाने वाली आईआईटी-जेईई की तैयारी तो बच्चे नौवीं कक्षा से ही शुरू कर देते हैं। वहीं मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं, सीए सीपीटी और राष्ट्रीय लॉ प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी भी विद्यार्थी 11वीं कक्षा के दौरान ही शुरू कर देते हैं।

अगर बात करें बीबीए, होटल मैनेजमेंट, मास कम्यूनिकेशन और ऐसी ही कुछ अन्य प्रवेश परीक्षाओं की तो ये आमतौर पर एप्टीट्यूड आधारित प्रश्न होते हैं जिसके लिए दसवीं कक्षा तक के विषयों की तैयारी बहुत रहती है। ये प्रवेश परीक्षाएँ किसी एक खास विषय पर आधारित नहीं होती इसलिए बोर्ड परीक्षा देने के दौरान भी विद्यार्थी इनकी तैयारी कर सकते हैं।

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पर इन दोनों महत्वपूर्ण परीक्षाओं की तैयारी एक साथ करना विद्यार्थियों के लिए मुश्किल हो सकता है इसलिए उचित मार्गदर्शन ही आपको इसमें सफलता दिला सकता है। यही वजह है कि अच्छे कोचिंग इंस्टीट्यूट्स की ओर बच्चों का रुझान बढ़ा है। यहाँ सही मार्गदर्शन पाकर प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी अच्छे से की जा सकती है और विद्यार्थियों की समय और ऊर्जा का सही तरह से प्रयोग भी हो पाता है।

बेशक इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए मेहनत तो आप ही को करनी है पर एक अच्छा कोचिंग इंस्टीट्यूट आपकी कमजोरियों को ध्यान में रखते हुए रोजाना अभ्यास करवाता है और आपकी सभी शंकाओं को तुरंत हल कर आपकी प्रोगेस पर पैनी नजर रखता है।

प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए जो मैटर ये कोचिंग इंस्टीट्यूट्स विद्यार्थियों को देते हैं वो आपका बहुत-सा कीमती समय बचा लेता है और आप अपना पूरा फोकस प्रवेश परीक्षा की तैयारी पर दे सकते हैं। प्रवेश परीक्षाओं को पास करने के लिए आपको सतत अभ्यास की जरूरत होती है।

प्रवेश परीक्षा के पैटर्न के अनुसार आप अपनी लिखित तैयारी कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है सही कार्यनीति बनाने की। बोर्ड परीक्षाओं और प्रवेश परीक्षाओं में जमीन आसमान का अंतर है। यहाँ आपको प्रश्नों को छोड़ना आना चाहिए और यह पता होना चाहिए कि आपकी किन विषयों पर पकड़ नहीं है। इसके लिए जरूरत है सही अभ्यास, सही समय प्रबंधन की और ऊर्जा को सही दिशा में लगाने की।

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