दूसरों को देखकर कराओगे कट तो औरों की नजर से जाओगे कट
एक पंडितजी मुँह से निकल गई बात को पूरा करके ही दम लेते थे। एक बार जब वे चौके में भोजन कर रहे थे तो उसमें एक बाल को देखकर चौंक उठे और बिना खाए ही उठ गए। वे पत्नी से बोले- 'यह तुम्हारी पहली भूल थी, लेकिन आगे ऐसी गलती की तो तुम्हारा सिर मुँडवा दूँगा।' यह सुनकर पत्नी घबरा गई, क्योंकि वह पति के स्वभाव से परिचित थी। अब वह खाना बनाते समय बालों को अच्छी तरह बाँधकर रखती ताकि खाने में कोई बाल न गिर जाए। लेकिन कुछ दिन बाद खाने में फिर से बाल निकल आया। पंडितजी बिना कुछ बोले घर से निकल गए। पत्नी समझ गई कि नाई को बुलाने ही गए होंगे। उसने तुरंत उसी शहर में रहने वाले अपने भाइयों को बुलाकर सारी बात बता दी। उन्होंने उसे दरवाजा बंद कर घर में बैठने को कहा और खुद कहीं चले गए। इस बीच पंडितजी नाई के साथ लौटे और जोर-जोर से दरवाजा खटखटाने लगे लेकिन पत्नी ने दरवाजा नहीं खोला। कुछ समय बाद भाई लौटे तो उनके सिर मुँडे हुए थे और हाथों में अंतिम संस्कार का सामान था। पंडितजी ने जब उनसे पूछा कि 'यह सब क्या है', तो वे बोले- 'आपका क्रियाकर्म करना है, क्योंकि एक सुहागन का मुंडन तो हो नहीं सकता। इसलिए हम पहले आपका क्रियाकर्म करेंगे, तब नाई को अपनी बहन का सिर मूँडने देंगे।' उनकी बात सुनकर और इरादे देखकर पंडितजी ने अपनी जिद छोड़ दी।
एक बार जब वे चौके में भोजन कर रहे थे तो उसमें एक बाल को देखकर चौंक उठे और बिना खाए ही उठ गए। वे पत्नी से बोले- 'यह तुम्हारी पहली भूल थी, लेकिन आगे ऐसी गलती की तो तुम्हारा सिर मुँडवा दूँगा।'
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भई वाह! बाल-बाल बचे!! भला हो उन भाइयों का जो बहन का बाल भी बाँका नहीं होने दिया। हालाँकि खाने में बाल आने से कभी न कभी हम सबका खाना जरूर खराब हुआ होगा। आखिर यह बाल हमें रास क्यों नहीं आता। खाने में यदि कंकड़ आ जाए तो हम थोड़ा-सा मुँह बनाकर उसे निकाल देते हैं और खाना निगल जाते हैं। लेकिन बाल देखते ही हमारे माथे पर बल पड़ जाते हैं खाना गले के नीचे नहीं उतरता। उसका सारा स्वाद ही बिगड़ जाता है।
आखिर ऐसा क्यों होता है। चलो बाल की खाल निकालकर इसका पता लगाते हैं। खाने में बाल आना दरअसल लापरवाही की निशानी है। फिर जो भी काम पूरी शिद्दत, पूरी होशियारी, पूरी निपुणता से नहीं किया जाता, वह किसी को पसंद नहीं आता। फिर चाहे वह खाने में बाल हो, कबाब में हड्डी हो, काम में बग या त्रुटि हो। इससे यह पता चलता है कि सामने वाले ने काम को बेमन से किया है। इसकी वजह से आप कितना ही अच्छा काम क्यों न करें, एक छोटी-सी लापरवाही या गलती आपकी सारी मेहनत पर पानी फेर देती है और आपके पास अपने बाल नोंचने के सिवाय कुछ नहीं बचता।
इसीलिए कहते हैं कि अपने काम को पूरी तल्लीनता और सावधानी से करना चाहिए ताकि उसमें बाल बराबर भी त्रुटि न रह जाए। यदि आप अपने काम में लापरवाही नहीं बरतेंगे तो आपको हमेशा अपने काम के लिए वाहवाही मिलेगी, तब आप भी वैसी ही खुशी अनुभव करेंगे जैसी खाने वालों को अपनी उँगलियाँ चाटते देखकर खाना पकाने वाले को होती है।
दूसरी ओर, सिर के बाल देखकर भी पहचाना जा सकता है कि सामने वाले का जिंदगी के प्रति रवैया कैसा है। बिना सँवरे बेतरतीब बाल जहाँ यह बताते हैं कि आदमी लापरवाह है, वहीं करीने से सजे बाल यह बताते हैं कि वह व्यक्ति छोटी-छोटी बातों की भी कितनी परवाह करता है। इसलिए हमेशा अपने बालों पर ध्यान दें। लेकिन कुछ लोग इस बात की तरफ ध्यान नहीं देते। वे यह नहीं समझ पाते कि उलटे-सीधे बिखरे बाल उनके करियर में रुकावट डाल सकते हैं।
कई बार ऊटपटांग हेयर स्टाइल की वजह से योग्यता के बावजूद अच्छे मौके उनके हाथ से निकल जाते हैं। इसलिए फैशन को अपनाते समय यह सावधानी जरूर रखें कि आप जो स्टाइल अपना रहे हैं, क्या वह आपके चेहरे, आपके व्यक्तित्व को सूट करेगी। यदि ऐसा नहीं होगा और आप दूसरों को देखकर कट कराएँगे तो औरों की नजर से कट हो जाएँगे, क्योंकि बेमेल हेयर स्टाइल से अच्छा-खासा गुडमैन भी बैडमैन नजर आने लगता है।
और अंत में, आज 'इंटरनेशनल बैड हेयर डे' पर यह तय करें कि आप अपने बालों की ओर ध्यान देंगे, उनकी देखभाल करेंगे ताकि कोई आपके बालों को देखकर आपको बाल बराबर यानी तुच्छ न समझे। अरे, कोई कंघा तो देना...।