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30 अप्रैल: ऑनेस्टी डे पर विशेष

ऑनेस्टी इज द बेस्ट पॉलिसी

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भारत में ईमानदारी की महत्ता भगवान राम से लेकर महात्मा गाँधी तक ने बताई, लेकिन व्यक्तित्व में ईमानदारी का महत्व अब पश्चिम के देशों में भी समझा जाने लगा है। इस का सबूत है कई देशों में मनाया जाने वाला ‘ऑनेस्टी डे’।

न्यू ऐज प्लेसमेंट एजेंसी के संयोजक अभिमन्यु जैन ने बताया कि किसी भी रोजगार नियोक्ता की पहली माँग भी कर्मचारी में काम के प्रति ईमानदारी ही होती है।

'ईमानदारी का मतलब सिर्फ बेईमानी से दूर रहना ही नहीं है। इसका मतलब अपने काम के प्रति समर्पित रहना और उसे बेहतर बनाने की सतत् कोशिश करते रहना भी है।' अगर कोई रोजगार नियोक्ता अपने कर्मचारी में ईमानदारी चाहता है, तो उसका मतलब इन्हीं गुणों से होता है। प्लेसमेंट एजेंसी में कर्मचारियों की माँग करने वाले क्लाइंट भी पहली शर्त यही रखते हैं कि कर्मचारी अपने काम के प्रति ईमानदार बनें रहें।'

अमेरिका में ‘ऑनेस्टी डे’ की शुरूआत मैरीलैंड के एक पूर्व प्रशासनिक अधिकारी और लेखक एम हिर्श गोल्डबर्ग ने 1990 के दशक से की। गोल्डबर्ग का मानना था कि अप्रैल का महीना चूँकि झूठ बोलने के बहुत बड़े दिन 'अप्रैल फूल डे' से होता है, इसलिए इसका अंत नैतिकता से होना चाहिए।

अमेरिका में इस दिवस पर अब दो पूर्व राष्ट्रपतियों जॉर्ज वाशिंगटन और अब्राहम लिंकन के सम्मान में कई कार्यक्रम होते हैं, जो अपनी ईमानदारी के लिए मशहूर थे। इस दिन देश के नागरिकों के व्यवहार में अपने काम के प्रति ईमानदारी लाने के लिए विभिन्न संगठन पहल करते हैं। इटली में नवंबर के दूसरे मंगलवार को ऑनेस्टी डे मनाया जाता है। इसके अलावा फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन समेत अन्य कई देशों में अप्रैल माह के अंतिम दिन ‘ऑनेस्टी डे’ का आयोजन किया जाता है।

ईमानदार कर्मचारी किसी भी संस्थान में अपनी अलग जगह बना लेते हैं। अगर आप अपने काम के प्रति ईमानदार हैं, तो आपको अपने प्रदर्शन के बारे में चिल्ला-चिल्ला कर बताने की जरूरत नहीं है। किसी भी संस्थान में ईमानदारी से चुपचाप काम करने वालों की अपनी अलग जगह होती है, संस्थान का भी ऐसे कर्मचारियों की ओर पूरा ध्यान होता है।

कोई भी संस्थान ऐसे कर्मचारी को अपने यहाँ जगह नहीं देना चाहेगा, जो ईमानदार न हों। इस बात का ध्यान रखें कि अगर आप किसी एक संस्थान से बेईमानी की वजह से निकाले जाते हैं तो यह आपके कॅरियर पर हमेशा के लिए लगने वाला धब्बा होता है।

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