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गुरुमंत्र : जगाएं अपने अंदर के हीरो को

अनुराग तागड़े

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फटा पोस्टर निकला हीरो और हीरो ने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए और अपने अलग गुणों के कारण वह भीड़ में अलग ही नजर आता है और दुनिया उसके पीछे घूमती है। फिल्मों में यह देखना सभी को अच्छा लगता है। हीरो अच्छा ही होना चाहिए उसमें सभी अच्छे ही गुण होना चाहिए और बुराई पर अच्छाई की विजय होना ही चाहिए।

हम सभी फिल्मों को इसी मानसिकता के साथ देखते है। कभी इसका कारण जानना चाहा कि आखिर ऐसा क्यों होता है? क्योंकि हम सभी भीतर से ऐसे ही बने रहते हैं। हमें बुराई पसंद नहीं हम अच्छाई का साथ देने में विश्वास रखते हैं। हीरो की तरह ही हम तेज गति से आगे बढ़ना भी चाहते हैं पर क्या कारण है कि फिल्म देखने के पश्चात हम कहानी और हीरो की खूब तारीफ जरुर करते हैं पर इससे प्राप्त संदेश को आत्मसात नहीं कर पाते।

हम सभी के भीतर हीरो के गुण होते हैं और सभी चाहते हैं कि सच्चाई और ईमानदारी के रास्ते पर चलते हुए मेहनत करें और सफलता प्राप्त करें। अपने भीतर के हीरो को जागृत करने के लिए हम क्या करते हैं? क्या हम वाकई हीरो बनना चाहते हैं? जैसे कई प्रश्न मन में उमड़ना स्वाभाविक है।

हीरो का मतलब यह नहीं कि हम भी फिल्मी हीरो की तरह अपनी बातें मनवाने के लिए मारधाड़ करने लगें। दरअसल हीरो एक प्रवृत्ति है जिसे समाज में अच्छी नजरों से देखा जाता है क्योंकि वह सत्य है वह असली है। करियर की डगर हो या फिर नौकरी की अगर हमनें सही समय पर अपने भीतर के हीरो को जागृत कर अपने गुणों को पहचान लिया तब सफलता प्राप्ति की दर ओर भी अच्छी हो सकती है।

हीरो के गुणों में सबसे महत्वपूर्ण है कि उसमें हिम्मत होती है। वह इसी हिम्मत के बल पर आगे बढ़ते जाता है और विपरीत परिस्थितियों का भी डटकर सामना करता है। कई व्यक्ति ऐसे होते हैं जिनके समक्ष विपरीत परिस्थितियां जब आती है तब वे अपने सभी गुणों को एकत्रित कर किस प्रकार से सामना करें इस बात को लेकर विचार करते है। जबकि कुछ व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों के समक्ष नतमस्तक हो जाते हैं और जो भी होगा देखा जाएगा। अब क्या कर सकते है? जैसे प्रश्न स्वयं से भी पूछते है और असफलता को खुद ही ओढ़ लेते हैं।

वे अपने गुणों के बारे में जानते ही नहीं और केवल थोड़ी सी विपरीत परितस्थतियों में स्वयं के बुरे की कल्पना करना आरंभ कर देते हैं। व्यक्ति अगर हीरो की तरह अपने गुणों की पहचान कर उन्हें और विकसित करने का प्रयत्न करता है तब वह समय के अनुरुप अपने आप में बदलाव कर पाता है और परिस्थितियों से सामना भी कर पाता है। इस कार्य के लिए लगातार आत्मविश्लेषण करने की जरुरत होती है अपने आप को नकारात्मक और सकारात्मक दोनों पहलुओं से देखना पड़ता है जिसके बाद हम यह समझ पाते है कि आखिर हमारे श्रेष्ठ गुण कौन से हैं।

दोस्तों अगर हम अपने भीतर के हीरो को सामान्य परिस्थितियों में भी जागृत रखें तब विपरीत परिस्थितियों का हम हीरो की तरह सामना कर सकते हैं।

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