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सीईओ - कई रोल में

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- दीपक कायस्थ

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आज किसी भी कंपनी के लिए कॉर्पोरेट जगत में अपनी पहचान बनाने के लिए सही रणनीति की जरूरत पड़ती है। ऐसे में कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है। एक सीईओ को कंपनी के लि‍ए कई रोल नि‍भाने पड़ते हैं। क्‍योंकि‍ उसकी जि‍म्‍मेदारि‍याँ ज्‍यादा होती हैं। प्रत्येक सीईओ में महान अनुभवों और उत्कृष्ट दक्षता और क्षमताओं के साथ कंपनी संभालता है।

सीईओ को गतिविधियों में सभी संभावनाओं को पूरा करना होता है, इसके बावजूद करने को बहुत कुछ बच जाता है। एक कंपनी को कई विकास पहलुओं से गुजरना पड़ता है और प्रत्येक प्रक्रिया के दौरान कंपनी को कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है।

आज प्रत्येक संगठन को एक चीज की भूख लगी है जिसे हम प्रतिभा कहते हैं। लेकिन प्रतिभा कोई ऐसी चीज नहीं जिसे पेड़ पर उगाया जा सके, प्रतिभा तैयार करने की जरूरत पड़ती है। कई संगठनो में महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को योजनबद्ध तरीके से पूरा नहीं किया जाता।

हालाँकि, मेरे विचार से कंपनी के सीईओ को एक अतिरिक्त भूमिका गुरु या कोच के रूप में भी निभानी चाहिए। यदि किसी संगठन को एक अच्छी उत्तराधिकारी की योजना बनानी है तो उसके लिए किसी भी सीईओ को यह महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।

हालाँकि कई लोगों का कहना है, 'जो लोग महान हैं उन्हें गुरु की कोई जरूरत नहीं।' लेकिन इतिहास पर नजर डालें तो हमें पता चलेगा कि महात्मा गाँधी के पास गोपाल कृष्ण गोखले, सचिन तेंदुलकर के पास रमाकांत अचरेकर, इंदिरा गाँधी के पास जवाहरलाल नेहरू आदि गुरु रहे।

यहाँ मैं जो बताना चाह रहा हूं वह यह है कि हमारे पास अच्छी प्रतिभा की कमी नहीं है लेकिन उस प्रतिभा को महानता में बदलने के लिए किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जिसके पास अच्छी जानकारी हो, लोगों को समझने और उनसे बातचीत करने की क्षमता हो।

यह किसी भी सीईओ का महत्वपूर्ण लक्षण है जो संगठन की दृष्टि और चुनौतियों के बारे में समझ सकता है। इसलिए वैश्विक विकास के इस युग में सीईओ के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह गुरु या कोच भूमिका अपनी अतिरिक्त जिम्मेदारी समझ कर निभाए। कंपनी को प्रशिक्षण के लिए रक्षा बल का इतिहास देखना चाहिए जहाँ लगातार ट्रेनिंग पर जोर दिया जाता है।

किसी प्रभावी सुरक्षा बल में देखा जाता है कि वह 90 फीसदी वक्त ट्रेनिंग में गुजारते हैं और 10 फीसदी वक्त क्षेत्र पर। वैश्वीकरण के दौर में भी ज्यादा से ज्यादा सीखना बेहद जरूरी हो गया है। प्रत्येक सीईओ को ट्रेनिंग प्रक्रिया के दौरान दूसरी भूमिका निभानी पड़ती है। कंपनी की रणनीति तैयार करने और उसके मुताबिक कार्य क्षमता को लगातार आगे बढ़ाने के लिए ट्रेनिंग जरूरी है।

'सीखना जरूरी नहीं है, लेकिन जिंदा रहने के लिए जरूरी है' - डॉ. एडवर्ड डेमनिग।

(लेखक प्लेनमैन कंसलटेंसी के सीईओ और आईआईपीएम के डीन हैं)

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