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स्‍ट्रेस में न उलझें स्‍टूडेंट्स

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सचिन भटनागर

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आज के इस कॉम्‍पीटेटि‍व दौर में हर इंसान ग्रोथ करना चाहता है और ग्रोथ करने के लिए उसे अपने कैलि‍बर के अनुसार काम करता हैं। कई बार हमारी एफि‍शि‍यंसी इतनी ज्‍यादा होती है कि हमें अपनी केपेसि‍टी के बाहर जाकर काम करना पड़ता है।

इसका पॉजि‍टि‍व पॉइंट यह होता है कि हम अपनी जिंदगी में उन ऊँचाइयों को छू पाते हैं जिसकी क्षमता हमारे माता-पिता और हमने देखी है, और इसका नेगेटि‍व पॉइंट यह होता है, कि जब हम काम के दबाव को सहन नहीं कर पाते है तब हमें शारीरिक और मानसिक परेशानि‍यों से गुजरना पड़ता है।

सक्‍सेस पाने, आगे बढ़ने और अपने सपनों को सच करने के लिए मेहनत तो करना ही पड़ेगी। लेकि‍न इससे जो तनाव हम पर हावी होता है उसको मैनेज करना होगा। तनाव तो होगा ही और तनाव का रहना भी जरूरी हैं, वरना हम गैरजिम्मेदार और आलसी हो जाएँगे। जिस प्रकार से गिटार का तार यदि ढी‍ला हो तो उसमें से सही स्वर नहीं निकलेगा जब उसमें उचित मात्रा में तनाव आता है, तभी उसमे से करन प्रिय संगीत के स्वंर उत्पन्न होते है, अतः वैश्वि‍करण के इस दौर में हमे तनाव प्रबंधन के गुण अपने अंदर उतारने होगे।

तनाव जितना प्रोफेशनल्स में होता हैं, उतना ही तनाव स्‍टूडेंट्स को भी परेशान करता हैं। स्‍टूडेंट्स के सामने कई तरह की प्रॉब्‍लम्‍स होती हैं, पढ़ाई में मन नहीं लगना, मन का भटकना, याद कि हुई चीजों को भूलना, आत्मविश्वास में कमी होना, किसी विषय में कठि‍नाई महसूस करना, माता पिता की अपेक्षाएँ ओर भी कई ऐसे मुद्दे होते है जिसमे सामाजिक, पारिवारिक, आर्थिक, जिनके कारण स्‍टूडेंट्स तनाव में रहते हैं। इन सभी समस्याओं से बाहर आने का सबसे पहला मंत्र यह है कि हम अपने आप पर विश्वास रखें।

विश्वास की ताकत से हम बड़ी से बड़ी जंग जीत सकते हैं। हमारे जीवन के रचि‍यता हम खुद हैं, हम जैसा चाहते है वैसा ही हमारे साथ होगा। पॉजि‍टि‍व सोचते हुए आप अपने सारे काम करें तो यह तय है कि‍ आप के साथ सब कुछ अच्छा ही होगा।

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