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कैसे करें कम्प्यूटर कोर्स का चयन

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वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जहाँ पर्सनल कम्प्यूटर को इंटरनेट जैसी सुविधाओं से जोड़ा जा चुका है तथा नित नए आवश्यकतानुरूप सॉफ्टवेयरों के प्रवेश ने कम्प्यूटर के महत्व को बढ़ा दिया है, वहीं दूसरी ओर कम्प्यूटर के क्षेत्र में नए प्रवेश करने वालों के लिए कम्प्यूटर कोर्स का चयन करना एक समस्या है।

इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि कम्प्यूटर क्षेत्र में प्रवेश करने वालों के लिए यह एक प्राथमिकता भी है, क्योंकि रुचि एवं आवश्यकतानुरूप कोर्स का चयन न होने पर व्यक्ति के योग्यता पर प्रश्नचिह्न लग जाएगा। साथ ही व्यक्ति अपनी क्षमताओं एवं योग्यताओं का पूर्ण रूप से उपयोग नहीं कर सकेगा।

कम्प्यूटर कोर्स का चयन - कम्प्यूटर कोर्स का चयन करते समय सर्वप्रथम निम्न दो मुख्य बिदुओं पर निर्णय लिया जाना अत्यंत आवश्यक है।

हार्डवेअर कोर्स - हार्डवेयर कोर्स की श्रेणी में उन कोर्स को सम्मिलित किया जाता है जो कम्प्यूटर को सुधारने एवं बनाने से संबंधित हैं। यदि आपकी रुचि कम्प्यूटर ऑपरेटिंग क्षेत्र में कार्य करने की न होकर टेक्निकल फील्ड में कार्य करने की है तो इस स्थिति में निःसंदेह कम्प्यूटर हार्डवेयर कोर्स की उपयोगिता की चर्चा की जाए तो यह एक निर्विवाद सत्य है कि कम्प्यूटर की माँग एवं सामान्य वर्ग में कम्प्यूटर की उपलब्धता के साथ ही कम्प्यूटर वैज्ञानिकों की भी आवश्यकता महसूस की जा रही है। अतः इस क्षेत्र में इच्छुक व्यक्तियों के लिए रोजगार की पर्याप्त संभावना है।

सॉफ्टवेयर कोर्स - (क) डॉस बेस, (ख)विंडोज बेस- सॉफ्टवेयर कोर्स का उपयोग करते समय यह आवश्यक हो जाता है कि कोर्स का चयन इस प्रकार का हो जो कि वर्तमान समय की माँग के अनुरुप हो। वर्तमान में सभी जगह विंडोज बेस एप्लीकेशन/सॉफ्टवेयर पर ही आवश्यक कार्य किया जा सकता है जो कि वर्तमान आवश्यकता के अनुरुप हो। अतः कोर्स चयन में विंडोज बेस कोर्स को पर्याप्त महत्व दिया जाना चाहिए।

पूर्व में सभी कार्य डॉस बेस एप्लीकेशन/सॉफ्टवेयर पर संपादित किए जा रहे थे जो कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में खरे नही उतरते हैं। डॉस बेस एवं विडोंज बेस प्लेटफॉर्म में वास्तविक अंतर यह है कि डॉस बेस कोर्स केरेक्टर मोड में कार्य करते हैं अर्थात डिजाइनिंग एवं ग्रॉफिकल कार्य के लिए डॉस बेस में पर्याप्त सुविधा उपलब्ध नहीं है। साथ ही फोंट परिवर्तन एवं साइज परिवर्तन की भी पर्याप्त सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जबकि विंडोज ग्रॉफिक मोड पर कार्य करता है। अर्थात्‌ इसमें वे सभी व्यवस्थाएँ पर्याप्त सुविधाओं के साथ उपलब्ध हैं जो कि डॉस बेस पर उपलब्ध नहीं हैं।

अवधि एवं रुचि के अनुसार - (क) प्रिटिंग फील्ड, (ख) अकाउंटिंग फील्ड, (ग) मल्टीमीडिया, (ङ) ऑपरेटिंग फील्ड, (च) ऑपरेटिंग एवं प्रोग्रामिंग फील्ड।

(क) प्रिटिंग फील्ड - प्रिटिंग फील्ड के अंर्तगत डी.टी.पी. से संबंधित कोर्स आते हैं जो कि वर्तमान में प्रिटिंग क्षेत्र की सभी माँग को पूरा करते हैं। डी.टी.पी. कोर्स पूर्णतः प्रिटिंग क्षेत्र के लिए समर्पित हैं। स्क्रीन प्रिटिंग से लेकर ऑफसेट प्रिंटिग तक के सभी कार्य इसी फील्ड के तहत संपन्न किए जाते हैं।

यदि किसी व्यक्ति की रुचि डिजाइनिंग एवं प्रिंटिग क्षेत्र में है तो उसके द्वारा इस कोर्स पर महत्व दिया जाना चाहिए। यह फील्ड पूर्णतः आपकी कल्पना शक्ति पर आधारित है। व्यक्ति को सोच के आधार पर नई डिजाइन बनाने एवं उसमें नए-नए परिवर्तन करने की पूर्ण सुविधाएँ इस क्षेत्र में उपलब्ध रहती हैं। यह एक अल्प अवधि का कोर्स है तथा इसके लिए विशेष कम्प्यूटर ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती है।

(ख) अकाउंटिंग फील्ड - यह फील्ड व्यापार एवं वाणिज्य के दृष्टिकोण से पर्याप्त महत्व रखता है। वर्तमान में व्यापार की सभी बहियों तथा खातों को कम्प्यूटर पर बहुत ही आसानी से तैयार किया जा सकता है तथा उसका उपयोग किसी भी समय किया जा सकता है। स्टॉक आदि का हिसाब रखने के लिए कम्प्यूटर पर पर्याप्त सुविधाएँ उपलब्ध हैं। इस क्षेत्र में रोजगार की प्रबल संभावना है तथा रोजगार के अवसर बनाए जा सकते हैं। यह भी एक अल्प अवधि का कोर्स है जो कि व्यापारिक माँग को पूरा करता है।

(ग) मल्टीमीडिया - मल्टीमीडिया के फिल्मी उद्योग, विज्ञापनों में दिन-प्रतिदिन बढ़ते प्रयोग ने इस क्षेत्र को बहुत ही महत्वपूर्ण बना दिया है। मल्टीमीडिया द्वारा फिल्मों, विज्ञापनों में तकनीकी प्रभावों को इस्तेमाल कर कल्पना शक्ति को साकार किया जा रहा है। कम्प्यूटर के मल्टीमीडिया अनुप्रयोगों द्वारा ध्वनि, चित्रों, वीडियो, लिखित सामग्री, ग्रॉफिक्स और छवियों का मिला-जुला इस्तेमाल कर तकनीकी प्रभाव निर्मित किए जाकर व्यक्ति की सोच को सार्थक किया जा रहा है। यह भी एक अल्प अवधि का कोर्स है जो व्यक्ति को रोजगार के सुलभ अवसर प्रदान कर सकता है। यह कोर्स उन व्यक्तियों के लिए बहुत लाभदायक है जो विज्ञापन या फिल्म उद्योग के लिए कार्य कर रहे हैं तथा जो इस क्षेत्र में अपना कॅरियर बनाना चाहते हैं।

(ङ) ऑपरेटिंग फील्ड - ऑपरेटिंग फील्ड से आशय कम्प्यूटर पर किए जाने वाले व्यावसायिक सामान्य कार्यों से है। इस फील्ड के अंतर्गत वे सारे कार्य आ जाते हैं, जो एक ऑफिस, फैक्टरी संचालन से संबंधित हैं- जैसे लेटर ड्रॉफ्टिंग, व्यापारिक डाटा, मैनेजमेंट, बिलिंग कार्य आदि। इस क्षेत्र के साथ कम्प्यूटर एकाउंटिंग कोर्स किया जाकर समस्त व्यापारिक कार्यों का निष्पादन किया जा सकता है। यह एक सामान्य अवधि का कोर्स है जो कि सामान्यतः छह अथवा आठ माह में पूर्ण किया जा सकता है।

(च) ऑपरेटिंग एवं प्रोग्रामिंग फील्ड - इस फील्ड के अंतर्गत ऑपरेटिंग पाठ्यक्रम फील्ड के सभी कोर्स सम्मिलित रहते हैं। यह एक दीर्घकालीन पाठ्यक्रम है। इसमें प्रोग्रामिंग का समावेश रहता है। कम्प्यूटर पर अपनी आवश्यकताओं के अनुसार प्रोग्राम तैयार कर वांछित कार्य करवाए जा सकते हैं। मार्केट की आवश्यकता के अनुरूप नवीनतम सॉफ्टवेयर तैयार कर इस क्षेत्र का उपयोग किया जा सकता है। इस क्षेत्र द्वारा आप स्वयं को एक प्रोग्रामर के रूप में स्थापित कर सकते हैं। उपरोक्त फील्ड की जानकारी के आधार पर यह कहा जा सकता है कि व्यक्ति को कम्प्यूटर फील्ड में प्रवेश के समय अपनी रुचि एवं आवश्यकतानुसार कोर्स के चयन को प्राथमिकता देना चाहिए।

साथ ही इस बात को ध्यान में रखें कि वर्तमान में प्रचलित एप्लीकेशन/सॉफ्टवेयर पर ही कार्य करें। मुख्यतः विंडोज बेस प्लेटफॉर्म को ही महत्व दिया जाना चाहिए। कोर्स का चयन मुख्य आधार पर आपके कार्यक्षेत्र पर निर्भर करता है कि आप कम्प्यूटर का उपयोग अपने लिए किस रूप में करना चाहते हैं।

किसी भी कोर्स में प्रवेश लेने से पूर्व यह निश्चित कर लें कि क्या आपके द्वारा चयनित कोर्स कम्प्यूटर फील्ड की आपकी भावी आकांक्षाओं को पूरा कर सकेगा। उसके बाद यदि आपने अपनी योग्यता एवं आवश्यकता का आकलन कर कम्प्यूटर पाठ्यक्रम का चयन किया तो इस क्षेत्र में बेहतर तरीके से कॅरियर निर्माण किया जा सकता है।

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