जैमोलॉजी एक विज्ञान है जो रत्नों की खासियत के बारे में व्यापक जानकारी उपलब्ध करवाता है। इसे हम यूं भी कह सकते हैं कि जैमोलॉजी के तहत रत्नों का अध्ययन एवं उन्हें सुंदर बनाने का कार्य किया जाता है। रत्नों का बाजार भारत के कुल निर्यात का पांचवां हिस्सा है। इस बड़े बाजार से भारत को अच्छी खासी विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है इसलिए इस क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए ट्रेनिंग के साथ ही तकनीकी ज्ञान होना नितांत आवश्यक है।
गौरतलब है कि मानव के लिए रत्न सदा से ही उत्सुकता का विषय रहे हैं। इसे रईसी की निशानी और बादशाहत से जोड़कर भी देखा जाता रहा है। पारंपरिक तौर पर रत्न जड़ित गहने बनाने का काम लोग पीढ़ियों से करते आ रहे हैं। केवल सुनार ही नहीं, उनके कारीगर भी यह काम सीखते और सिखाते आ रहे हैं। लेकिन आज इसके लिए पारिवारिक पृष्ठभूमि जरूरी नहीं है। इस काम के लिए आज ढेरों प्रशिक्षण केंद्र खुल गए हैं जो डिजाइन, निर्माण और बनावट की गहरी जानकारी देते हैं।
फैशन और एसेसरीज के बढ़ते मार्केट ने जैमोलॉजी के क्षेत्र को बहुत विस्तार दिया है। हमारे देश में जयपुर तथा सूरत दुनिया के सबसे बड़े रत्न कटिंग सेंटर हैं। यहां लेटेस्ट डिजाइन और ट्रेंड्स के रत्न तराशे जाते हैं। भारतीय जैम एंड ज्वेलरी इंडस्ट्री नई शताब्दी में बेहतर आत्मविश्वास के साथ उभरकर आई है। भारत में रत्न कटिंग करने वालों और कारीगरों को पूरी दुनिया में बहुत इज्जत से देखा जाता है।
वैश्विक जैम एंड ज्वेलरी मार्केट को बढ़ाने में भारतीयों का बड़ा योगदान रहा है। ब्रांडेड ज्वेलरी ने करियर के नए मौके सामने ला दिए हैं। ज्वेलरी निर्यात में भारत दुनिया के 70 फीसदी हिस्से का दावेदार है। पारंपरिक भारतीय रत्न जड़ित आभूषणों की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बहुत मांग है।
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एक आकलन के अनुसार भारत में कीमत के हिसाब से 60 फीसदी, वॉल्यूम के हिसाब से 82 फीसदी और कट के हिसाब से 95 फीसदी हीरों की प्रोसेसिंग की जाती है। इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि जैमोलॉजी के क्षेत्र में भारत में करियर के उजले अवसर उपलब्ध हैं।
जैमोलॉजिस्ट्स के काम में रत्न की जांच, छंटाई और सही श्रेणी में बांटने का काम प्रमुखता से होता है। ये लोग रत्न निर्माताओं और डिजाइनर्स को उपरोक्त बातों की जानकारी प्रदान करते हैं। किसी व्यक्ति पर होने वाले रत्नों के असर के बारे में भी इनकी जानकारी अहम होती है। जैमोलॉजिस्ट्स में सूक्ष्म अवलोकन करने, गहराई से जांच करने और शुद्धता की प्रामाणिकता सिद्ध करने की क्षमता होनी चाहिए। इस विषय में पढ़ाई करने के लिए उच्चतम तकनीकी जानकारी के अलावा कटिंग, छांटने, कीमत और पहचान की जानकारी जरूरी है।
दिल्ली स्थित ज्वेलरी डिजाइनर राध्या गांधी ने बताया, किसी कंपनी से जुड़ने के अलावा आप खुद ही काम शुरू कर सकते हैं, बस आपको मार्केट की नब्ज पर नजर रखनी होगी। ज्वैलरी डिजाइनिंग के अलावा आप जैम कटिंग, जड़ाऊ जेवर बनाने, सुधारने तथा रत्न जड़ित घड़ियां, वस्त्र एवं एसेसरीज भी बना सकते हैं। इसके अलावा खुद डिजाइन तैयार करके बड़े ज्वेलर्स और कंपनियों को डिजाइन देने का काम भी बहुत मुनाफे का सौदा है।
आभूषणों का बाजार बहुत बड़ा और बेहद प्रतियोगी है इसलिए काम शुरू करने से पहले सेल्स का अनुभव, मार्केटिंग की जानकारी तथा बिजनेस मैनेजमेंट के गुर सीखने जरूरी हैं। मेहनती युवाओं हेतु इस क्षेत्र में बहुत चमकीले अवसर उपलब्ध हैं।
आज धोखाधड़ी के दौर में सिंथेटिक रत्न भी धड़ल्ले से ग्राहकों को बेचे जा रहे हैं इसलिए सही रत्न की पहचान के लिए सिर्फ भरोसा ही नहीं, साइंटिफिक तरीकों की जानकारी भी जैमोलॉजिस्ट्स को होनी जरूरी है। जैमोलॉजी कोर्स में दाखिले के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता बारहवीं उत्तीर्ण है। इसके साथ ही अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ होनी जरूरी है क्योंकि आपको देशी ही नहीं, विदेशी ग्राहकों और कंपनियों से भी तालमेल बैठाना होता है।
यदि आप घर से अपना काम शुरू करना चाहते हैं तो न्यूनतम दो लाख रुपए का निवेश करना होगा लेकिन यह भी है कि आर्टिफिशियल ज्वेलरी के कारोबार में 100 फीसदी का मार्जिन भी मौजूद है।
कोर्स संचालित करने वाले प्रमुख स्थान
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ जैमोलॉजी, ईस्ट पार्क रोड, करोल बाग, नई दिल्ली। - ज्वैलरी डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट, ए-89, सेक्टर-2, नोएडा। - नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, गुलमोहर पार्क के पास, हौजखास, नई दिल्ली। - इंडियन जैमोलॉजिकल इंस्टिट्यूट, निर्मल टावर्स, 10वां माला, 26 बाराखंबा रोड, नई दिल्ली। - इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, साउथ एक्सटेंशन पार्ट-1, नई दिल्ली। - इंडियन डायमंड इंस्टिट्यूट सुमुल डेयरी रोड, सूरत।