ज्योतिष ग्रहों को जानने की एक प्राचीन विद्या है। यह हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा प्रदत्त एक ज्ञान है। ज्योतिष ग्रहों की गणितीय गणना है। ज्योतिष का सबसे बड़ा लाभ यह है कि व्यक्ति को अपनी अनुकूल और प्रतिकूल स्थिति का ज्ञान हो जाता है, जिससे वह उसके अनुसार कार्य करता है तो विपरीत परिस्थितियों में भी उसे संबल मिलता है। पृथ्वी से कई प्रकाश वर्ष दूर ग्रहों का मानव पर क्या प्रभाव पड़ेगा। इसका अध्ययन ज्योतिष में किया जाता है। ज्योतिष के द्वारा ज्ञात हो सकता है कि कौनसे ग्रह उस पर अच्छा प्रभाव डालेंगे और कौनसे से ग्रह बुरा।
हर ग्रह का अपना एक तत्व होता है उस तत्व के द्वारा उस ग्रह के बुरे प्रभाव को खत्म किया जा सकता है। वर्तमान में ज्योतिष एक संभावनाओं वाले क्षेत्र के रूप में उभर कर आया है। इस विद्या में कम्यूटर के प्रयोग से ज्योतिष का क्षेत्र सरल एवं व्यापक हुआ है। भारत में ज्योतिष से संबंधित लगभग 1800 वेबसाइट्स हैं। विदेशों में ज्योतिष से संबंधित लगभग 2 लाख से अधिक वेबसाइट्स हैं। युवा ज्योतिष विद्या का अध्ययन कर इसमें भी करियर बना सकते हैं।
शासकीय संस्कृत महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. विनायक पांडे के अनुसार ज्योतिष वर्तमान में एक अच्छे करियर क्षेत्र के रूप में उभरा है। कई युवा इस प्राचीन भारतीय विद्या के बारे में जानने-समझने को उत्सुक हैं। अभी इस विद्या का पूर्ण और सही ज्ञान रखने वालों की भारत में अभी भी संख्या कम है।
उन्होंने बताया कि ज्योतिष के दो प्रकार होते हैं- 1. सिद्धांत ज्योतिष और 2. फलित ज्योतिष। सिद्धांत ज्योतिष के अंतर्गत पंचाग आदि का निर्माण शामिल है। इसका अध्ययन कर युवा खुद स्वरोजगार स्थापित कर सकते हैं, बल्कि दूसरों को भी रोजगार दे सकते हैं। फलित ज्योतिष के अंतर्गत भविष्य देखना, पत्रिका बनाना, ग्रहजन्य पीड़ा, निदान आदि का अध्ययन किया जाता है।
डॉ. पांडे कहते हैं कि ज्योतिष में रुचि रखने वाले युवा ज्योतिष में डिप्लोमा कर सकते हैं। 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आप किसी भी विषय में स्नातक की पढ़ाई के साथ यह डिप्लोमा कर सकते हैं। यह डिप्लोमा कोर्स तीन वर्षीय है। पहले साल में उत्तीर्ण होने पर प्रमाण-पत्र दिया जाता है। दूसरे वर्ष में डिप्लोमा और तीसरे वर्ष में एडवांस डिप्लोमा होता है।
यह युवाओं के लिए उभरता हुआ करियर क्षेत्र है। ज्योतिष के साथ में आध्यात्मिक जुड़ाव भी होना चाहिए। ज्योतिष का कार्य करते समय झूठे आश्वासन, छल, लालच, व्यसन आदि जैसे दुर्गुणों से स्वयं को दूर रखें। इसमें व्यवसायिक रूप में सफल होने के लिए आवश्यक है कि ईमानदारी, सात्विकता, जनसेवा का भाव इसके साथ जुड़ा हो।