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नॉन लाइफ इंश्योरेंस में बढ़ते रोजगार

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- अशोक सिंह

अधिकांश विकसित देशों की तुलना में भारत में बीमाधारकों की संख्या कहीं कम है और विदेशी एवं देसी इंश्योरेंस कंपनियों की निगाहें इस बाजार के अधिकाधिक हिस्से को हथियाने पर हैं। कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज के अध्ययन के अनुसार आगामी वर्ष तक इंश्योंरेंस का कारोबार डेढ़ लाख करोड़ के जादुई आँकड़े को पार कर जाएगा जबकि वर्ष 20001 तक यह कारोबार राशि मात्र 23 हजार करोड़ रुपए के बराबर थी।

इसमें लाइफ एवं नॉन लाइफ दोनों प्रकार का बीमा कारोबार शामिल है। एक अन्य अनुमान के अनुसार अभी देश की दो-तिहाई से अधिक आबादी इंश्योरेंस के दायरे से बाहर है। जाहिर है इंश्योरेंस कंपनियों के लिए यह आबादी एक विपुल बाजार का ही रूप है जिसके जरिए अरबों रुपए प्रतिवर्ष का मुनाफा कमाया जा सकता है।

इसी का नतीजा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय बैंकों सहित अन्य कई निजी बैंकों ने भी नॉन लाइफ इंश्योरेंस बिजनेस की दिशा में कदम बढ़ाते हुए अपनी सहायक कंपनियाँ शुरू करने की योजना बनाई है और शीघ्र ही इस आशय की घोषणा देखने को मिल सकती है। नॉन लाइफ इंश्योरेंस बिजनेस में हेल्थ बीमा से लेकर दुर्घटना, आपदा, दंगे, मकान, संपत्ति, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, फैक्ट्री से लेकर घरेलू कंज्यूमर ड्यूरेबल्स तक की इंश्योरेंस की योजनाएं शामिल हैं। अगर गौर किया जाए तो व्यावहारिक रूप से प्रत्येक मूल्यवान वस्तुओं और आशंकित दुर्घटनाओं तक को इसमें शामिल किया जा सकता है। जाहिर है यह कारोबार राशि अरबों-खरबों में ही होगी।

इतने बड़े कारोबार के अधिक से अधिक हिस्से पर कब्जा जमाने की होड़ में न सिर्फ शहरी इलाकों बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी इन कंपनियों को बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को नियुक्त करना पड़ेगा जो कि या तो इंश्योरेंस बिजनेस से पहले से जुड़े हैं अथवा स्थानीय आबादी में उनकी पैठ है।

इसके अलावा संख्या बल बढ़ाने के लिए स्कूल-कॉलेजों के पास आउट युवाओं को भी कमीशन आधार पर ये कंपनियाँ अपने साथ जोड़ने की कोशिश करेंगी। चूँकि इस प्रकार के काम को पूर्णकालिक और अंशकालिक तौर पर भी करने के विकल्प हैं इसलिए काफी बड़ी संख्या में सेवानिवृत लोग और गृहिणियों के अलावा नौकरीशुदा लोग भी इससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं और तो और पढ़ाई के साथ भी, कमीशन आधार पर पार्ट टाइम काम के रूप में भी इस कार्य को बिना किसी प्रकार की पूर्व प्रशिक्षण के किया जा सकता है। हालाँकि इससे संबंधित कई प्रकार के कोर्स भी अस्तित्व में हैं जिनके माध्यम से इसे पूर्णकालिक करियर भी बना पाना संभव है। इनमें बीए (एक्च्यूरिअल साइंस) या बीए (वोकेशनल) इंश्योरेंस कोर्स का विशेष रुप से उल्लेख किया जा सकता है।

जहाँ तक पूर्णकालिक रोजगार का प्रश्न है तो इन कंपनियों से जमीनी स्तर पर बतौर इंश्योरेंस एजेंट (कम से कम इंटरमीडिएट) से लेकर एसिस्टेंट एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर (ग्रेजुएट), डेवलपमेंट ऑफिसर (ग्रेजुएट), एक्च्यूरी (गणित या सांख्यिकी में ग्रेजुएट) आदि पदों से शुरुआत की जा सकती है। प्रायः इनके लिए भी चयन परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है। इनकी तैयारी के लिए न सिर्फ निजी कोचिंग इंस्टिट्यूट बल्कि तमाम तरह की निर्देश भी उपलब्ध हैं। समय-समय पर इस आशय के विज्ञापन अखबारों में प्रकाशित होते रहते हैं।

हालांकि निजी कंपनियों में इस प्रकार की सख्त चयन प्रक्रियाएँ नहीं होती हैं। बहिर्मुखी के धनी युवाओं को ही इस क्षेत्र में करियर निर्माण के बारे में सोचना चाहिए। क्योंकि अजनबी लोगों से मिलना और उन्हें इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने के लिए तैयार करना काफी हद तक आपसी विश्वास और आपकी तर्कसंगत बातों पर निर्भर करता है। इस क्षेत्र में सही मायने में परिश्रम और लगन ही सफलता की कुंजी कही जा सकती है। संपर्कों का लाभ श्रृंखलाबद्ध तरीके से कैसे कड़ी-दर-कड़ी उठाएँ यही मूलमंत्र कहा जा सकता है, इस क्षेत्र में सफलता हासिल करने का।

अंडरग्रेजुएट स्तर पर इंश्योरेंस विषय में पाठ्यक्रम :

कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज, (दिल्ली यूनिवर्सिटी), दिल्ली

गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी (अमृतसर)

बाम्‍बे यूनिवर्सिटी (मुंबई)

कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी (कुरुक्षेत्र)

उत्कल यूनिवर्सिटी (भुवनेश्वर)

मणिपुर यूनिवर्सिटी (इम्फाल)

नॉन लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों की बढ़ती संख्या :

यूकों बैंक, यूनियन बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक आदि नॉन लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों के गठन की तैयारी में

आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी लिमिटेड, इलाहाबाद बैंक व कर्नाटक बैंकों द्वारा नॉन लाइफ इंश्योरेंस कारोबार में पहले ही कदम रखा जा चुका है।

फर्टिलाइजर उत्पादक प्रसिद्ध इफको कंपनी द्वारा जापानी इंश्योरेंस कंपनी के साथ इफकों-टोकियो नामक संयुक्त उद्यम के रूप में नॉन लाइफ इंश्योरेंस कंपनी कई वर्षों से चलाई जा रही है।

सरकारी नॉन लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों से ओरिएंटल, नेशनल इंश्योनल इंश्योरेंस सहित चार कंपनियाँ हैं।

देश में वर्तमान में कार्यरत नॉन लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों की संख्या 22 से अधिक हैं और जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, कहीं अधिक कंपनियाँ पंजीकृत होने की प्रक्रिया में हैं।

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