Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

न्यूक्लियर एनर्जी के क्षेत्र में रोजगार के बढ़ते अवसर

Advertiesment
हमें फॉलो करें करियर

ND

- अशोक सिंह

ND
ND
भारत-अमेरिकी न्यूक्लियर डील के बाद देश में न्यूक्लियर एनर्जी (परमाणु ऊर्जा) के उत्पादन में अत्यधिक बढ़ोतरी की संभावनाएँ देश-विदेश के इस क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों द्वारा जताई जा रही हैं। फिलहाल देश के कुल ऊर्जा उत्पादन में परमाणु रिएक्टरों के जरिए मात्र तीन प्रतिशत विद्युत ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है।

बायोफ्यूल की लगातार घटती मात्रा और देश में बढ़ती ऊर्जा की माँग देखते हुए ऊर्जा उत्पादन पर बल देना सरकार की प्राथमिकता बन गया है। इसी सोच के तहत वर्ष 2050 तक परमाणु रिएक्टरों के माध्यम से कुल विद्युत उत्पादन का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा उत्पादित करने की दीर्घकालिक योजना तैयार की गई है। इसी क्रम में वर्ष 2020 तक बीस हजार मेगावाट विद्युत का अतिरिक्त उत्पादन परमाणु ऊर्जा स्रोतों से किया जाएगा।

जाहिर है, ऐसे परमाणु रिएक्टरों के निर्माण कार्य से लेकर इनके संचालन और रख-रखाव तक में ट्रेंड न्यूक्लियर प्रोफेशनल की बड़े पैमाने पर आवश्यकता पड़ेगी। इस प्रकार के कोर्स देश के चुनींदा संस्थानों में फिलहाल उपलब्ध हैं लेकिन समय की मांग देखते हुए यह कहा जा सकता है कि न सिर्फ सरकारी बल्कि निजी क्षेत्र के संस्थान भी इस प्रकार के कोर्सेज की शुरुआत बड़े स्तर पर करने की सोच सकते हैं।

यह कतई जरूरी नहीं कि इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए न्यूक्लियर साइंस से संबंधित युवाओं के लिए ही अवसर होंगे बल्कि एनर्जी इंजीनियर, न्यूक्लियर फिजिक्स, सिविल इंजीनियर, मेकेनिकल इंजीनियर, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरों के अलावा भी तमाम ऐसे संबंधित प्रोफेशनलों की आवश्यकता आने वाले दिनों में होगी। सही मायने में देखा जाए तो एनर्जी इंजीनियरिंग अपने आप में अंतर्विषयक धारा है जिसमें इंजीनियरिंग की विविध शाखाओं का ज्ञान समाया हुआ देखा जा सकता है। यही कारण है कि सभी इंजीनियरिंग शाखाओं के युवाओं की जरूरत दिन-प्रतिदिन इस क्षेत्र में बढ़ेगी।

ऊर्जा मंत्रालय के अनुमान को अगर रेखांकित किया जाए तो आगामी पांच वर्षों में भारत को इस क्षेत्र पर लगभग पांच लाख करोड़ रुपए का निवेश करना होगा तभी बढ़ती ऊर्जा आवश्यकता की पूर्ति कर पानी संभव होगी। इसमें विद्युत उत्पादन के विभिन्न स्रोतों जल, थर्मल तथा वायु से तैयार होने वाली विद्युत के अलावा परमाणु भट्टियों से निर्मित विद्युत की भी भागीदारी होगी। अमेरिका के साथ हुई परमाणु संधि के बाद ऐसे रिएक्टरों की स्थापना बड़ी संख्या में होने की संभावना है।

webdunia
ND
ND
न सिर्फ देश की बड़ी-बड़ी कंपनियां (एलएंडटी) बल्कि विश्व की तमाम अन्य बड़ी न्यूक्लियर रिएक्टर सप्लायर कंपनियां (जीई हिटैची, वेस्टिंग हाउस इत्यादि) भी इस ओर नजर गड़ाए बैठी हैं। यह कारोबार जैसा कि उल्लेख किया गया है कि कई लाख करोड़ रुपए के बराबर आने वाले दशकों में होने जा रहा है। इसके अलावा अभी सामरिक क्षेत्र में न्यूक्लियर एनर्जी के इस्तेमाल के विभिन्न विकल्पों की भी बात करें तो समूचे परिदृश्य का अंदाजा और वृहद् रूप में मिल सकता है।

जहां तक न्यूक्लियर इंजीनियरों के कार्यकलापों का प्रश्न है तो उनके ऊपर न्यूक्लियर पावर प्लांट की डिजाइनिंग, निर्माण तथा ऑपरेशन का लगभग संपूर्ण दायित्व होता है। जिसका सफलतापूर्वक संचालन, वे अन्य टेक्नीशियन और विशेषज्ञों की मदद से करते हैं। इनके लिए नौकरी के अवसर मेटेरियल इंजीनियरिंग के कार्यकलापों, एमआरआई उपकरण निर्माता कंपनियों, संबंधित उपकरण उत्पादक कंपनियों के अलावा अध्यापन और शोध में भी देश-विदेश में व्यापक पैमाने पर हो सकते हैं। अंतरिक्ष अनुसंधान, कृषि क्षेत्र, आयुर्विज्ञान तथा अन्य क्षेत्रों में भी ये अपने करियर निर्माण के बारे में सोच सकते हैं।

किस प्रकार की योग्यता जरूरी

विज्ञान की दृढ़ पृष्ठभूमि के साथ भौतिकी एवं गणित में गहन दिलचस्पी रखने वाले युवाओं के लिए यह तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र निस्संदेह सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित करने में काफी मददगार साबित हो सकता है। विदेशी विश्वविद्यालयों में ग्रेजुएट अथवा पोस्ट ग्रेजुएट स्कॉलरों को हाथोहाथ लिया जाता है। अमूमन स्कॉलरशिप मिलना ऐसे युवाओं के लिए मुश्किल नहीं होता।

संस्‍थान:

इंडि‍यन इंस्‍टि‍ट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी, कानपुर
इंडि‍यन इंस्‍टि‍ट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु
साहा इंस्‍टि‍ट्यूट ऑफ न्‍यूक्‍लि‍यर फि‍जि‍क्‍स कोलकाता

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi