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आकाश बहुत ऊँचा है

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-नूपुर दीक्षित

'कोई मिल गया' फिल्‍म का काल्‍पनिक पात्र जादू हो या सुनीता विलियम्‍स के अंतरिक्ष से सकुशल धरती पर लौट आने की हकीकत। दोनों ही विषयों में एक समानता है कि दोनों का संबंध अंतरिक्ष से है।

अंतरिक्ष के गूढ़ रहस्‍य आज भी आम आदमी को फंतासी की तरह लगते हैं। इस फंतासी के पीछे सारी दुनिया दीवानी है। यहाँ हम दीवानगी की नहीं, बल्कि रोचक विषय में करियर बनाने की संभावना की बात कर रहे हैं।

एस्‍ट्रोनॉमी विज्ञान का सबसे दिलचस्‍प भाग है। इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए स्‍कूल स्‍तर पर ही गणित और फिजिक्‍स में पारंगत होना बहुत आवश्‍यक है।

यह क्षेत्र लीक से थोड़ा हटकर है, जिसमें शोध करने वालों के लिए हमेशा स्‍थान रहता है। यहाँ आपको किसी अन्‍य क्षेत्र की तरह अनेक नौ‍करियाँ मिलने की संभावना कम रहती है।

यदि आप पूर्ण समर्पण और मेहनत से काम करते हैं, तो कल्‍पना चावला, राकेश शर्मा या सुनीता विलियम्‍स की तरह देश के सितारे जरूर बन सकते हैं।

संस्‍थान

हमारे देश में एस्‍ट्रोनॉमी का अध्‍ययन करने के लिए कई स्‍तरीय संस्‍थान हैं, जिनमें प्रवेश पाने के बाद वहाँ के छात्रों को अनेक सुविधाएँ व उम्‍दा कार्य-संस्‍कृति में काम करने का अवसर मिलता है। ये संस्‍थान हैं :

इंडियन स्‍पेस रिचर्स ऑर्गेनाइजेशन (इसरो)
फिजिकल रिचर्स लेबोरेटरी (पीआरएल)
एम.पी. बिरला प्‍लेनेटोरियम
बिरला इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी एंड साइंस
इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्‍ट्रोनॉमी एंड एस्‍ट्रोफिजिक्‍स (आईयूसीएए)
रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन्‍ा
रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन

प्रवेश कैसे ले

इन समस्‍त संस्‍थाओं में प्रवेश के लिए अपने-अपने अलग-अलग नियम व मापदंड़ हैं। इनके संबंध में विस्‍तृत जानकारी इन संस्‍थाओं की वेबसाइट पर से ली जा सकती है।

इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स या इलेक्‍ट्रानिक्‍स एंड कम्‍यूनिकेशन में बीई करने के बाद इन संस्‍थाओं में प्रवेश के लिए होने वाली संयुक्‍त प्रवेश परीक्षा (जेईएसटी) में भाग लिया जा सकता है।

इन संस्‍थाओं के अतिरिक्‍त औरंगाबाद में डॉ बाबा साहब अम्‍बेडकर मराठवाड़ा यूनिवर्सिटी और कोल्‍हापुर में शिवाजी यूनिवर्सिटी में बीएससी के स्‍तर पर एस्‍ट्रोनॉमी और एस्‍ट्रोफिजिक्‍स जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं।

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