मिताली
एक फिजियोथैरेपिस्ट की हॉस्पिटल के अंदर आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट, मानसिक तथा शारीरिक रूप अस्वस्थ बच्चों के स्कूल तथा हेल्थ इंस्टिट्यूट में माँग हमेशा बनी रहती है। इसके अलावा फिजियोथैरेपिस्ट अपना प्राइवेट क्लिनिक भी खोल सकते हैं। इनकी डिमांड सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि यूएसए, कनाडा तथा ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी है। शुरूआती दौर में किसी सरकारी अस्पताल में एक फिजियोथैरेपिस्ट 3000 रुपए से 5000 रुपए प्रतिमाह के बीच में कमा सकते हैं।
एक निजी अस्पताल की सैलरी करीबन 7500 रुपए से 10,000 रुपए प्रतिमाह के बीच होती है तथा एक प्रतिष्ठित नीति अस्पताल में प्रैक्टिस कर रहे छात्रों की कमाई 20,000 से 40,000 हजार रुपए प्रतिमाह होती है।
कुछ अस्पतालों में फिजियोथैरेपिस्ट को पैसे उसके द्वारा देखे गए रोगियों के आधार पर प्राप्त होते हैं। पांच साल के अनुभव के बाद खुद की प्रेक्टिस शुरू की जा सकती हैं। इसके बाद ये हर सीटिंग पर कम से कम 250 से 400 रुपए तक चार्ज करते हैं।
यूनाइटेड स्टेट डिपार्टमेंट ऑफ लेबर की रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य संबंधी क्षेत्रों में नौकरी की संभावनाएँ तेजी से बढ़ रही हैं तथा आने वाले समय में इस क्षेत्र में 2.1 मीलियन नई जॉब की संभावनाएँ हैं।
कहाँ से करें कोर्स
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रिहेबिलिटेशन ट्रेनिंग एंड रिसर्च, उड़ीसा
नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर द आर्थियोपेडिकली हैंडीकैन्ट, कलकत्ता
इंस्टिट्यूट ऑफ फिजिकली हैंडीकैंट, नई दिल्ली
पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च, चंडीगढ़
सांचती कॉलेज ऑफ फिजियोथैरेपी, पुणे
रविनैय्यर कॉलेज ऑफ फिजियोथैरेपी, वर्द्धा
वीपीएसम कॉलेज ऑफ फिजियोथैरेपी, नागपुर
एसएसबी कॉलेज ऑफ फिजियोथैरेपी, अहमदाबाद
के. एम. पटेल इंस्टिट्यूट ऑफ फिजियोथैरेपी, गोकुल नगर
डॉ. डीवाई पटेल कॉलेज ऑफ फिजियोथैरेपी, पुणे