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हैरिटेज मैनेजमेंट में करियर

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- जयंतीलाल भंडारी

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आज की बदलती दुनिया में भूतकाल के अध्ययन में भी भविष्य है। जब अतीत की धूल खंगाली जाती है तो इनके साक्ष्य दुर्लभ पांडुलिपियों, प्राचीन सिक्कों, मंदिरों- मूर्तियों आदि के रूप में सामने आते हैं। इनसे यह जानने में मदद मिलती है कि गुजरी हुई सभ्यताओं का सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक व सांस्कृतिक ढाँचा कैसा था और समय बीतने के साथ इसमें क्या बदलाव आए।

मोहनजोदड़ो, हडप्पा, हंपी या बीते कल की खोज पर निकलने, प्राचीन काल में मिलने वाली धरोहरों को सहेजने तथा उनकी मदद से अतीत की कड़ियाँ फिर से जोड़ने का एक अलग ही रोमांच है।

यदि आप भी इस रोमांच को महसूस करना चाहते हैं तो हैरिटेज मैनेजमेंट में करियर तलाश सकते हैं। गौरतलब है कि प्राचीन सभ्यताओं के बारे में जो कुछ हम जान पाए हैं, उसका श्रेय इतिहास और इससे संबंधित ज्ञान के क्षेत्रों जैसे आर्कियोलॉजी, आर्काइस मैनेजमेंट, म्यूजियोलॉजी को जाता है।

हैरिटेज मैनेजमेंट एक ऐसा इंटरडिसिप्लनरी विषय है जिसमें रसायन, एंथोपोलॉजी और भूगर्भ विज्ञान की जानकारी भी आवश्यक होती है।

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हैरिटेज मैनेजमेंट के अंतर्गत पुरातात्विक महत्व वाली जगहों का अध्ययन एवं प्रबंधन किया जाता है। हैरिटेज मैनेजमेंट के तहत पुरातात्विक स्थलों की खुदाई का कार्य संचालित किया जाता है तथा इस दौरान मिलने वाली वस्तुओं को संरक्षित कर उनकी उपयोगिता का निर्धारण किया जाता है। इसकी सहायता से घटनाओं का समय, क्रम आदि जैसी चीजों के बारे में जरूरी निष्कर्ष निकाले जाते हैं।

यही जानकारियाँ आगे चलकर ऐतिहासिक साक्ष्य बनती हैं। हैरिटेज मैनेजमेंट में करियर बनाने के इच्छुक युवा किसी एक चुने हुए क्षेत्र में विशेषज्ञता भी ले सकते हैं। उदाहरण के तौर पर न्यूमिसमैटिस्ट का कार्य जहाँ पुराने सिक्कों का अध्ययन करना है, वहीं एपिग्राफिस्ट के तौर पर प्राचीन लिपियों का अध्ययन तथा विश्लेषण किया जा सकता है।

एक अन्य विकल्प आर्काइविस्ट बनने का भी है। इसके अंतर्गत पुरातात्विक महत्व की वस्तुओं का अध्ययन कर उन्हें व्यवस्थित तरीके से सूचीबद्ध किया जाता है। इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण जानकारियों को सुरक्षित रखना है ताकि बाद में जरूरत पड़ने पर इनका उपयोग किया जा सके।

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इनमें ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज, नक्शे, फोटो, फिल्में, खनिज, वैज्ञानिक उपकरण आदि जैसी चीजें शामिल होती हैं। इस क्षेत्र में एक अन्य विकल्प हिस्टोरियन (इतिहासवेत्ता) बनने का भी है।

शिक्षण और शोध के अलावा उनका काम ऐतिहासिक घटनाओं की व्याख्या और विश्लेषण करना भी होता है। लगभग सभी विश्वविद्यालयों में इतिहास में बीए, एमए तथा पीएचडी कोर्सेज की सुविधा उपलब्ध है। दिल्ली स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ आर्कियोलॉजी से हैरिटेज मैनेजमेंट तथा आर्कियोलॉजी में दो साल का पीजी डिप्लोमा कोर्स किया जा सकता है।

पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए आवश्यक है कि आपने आर्कियोलॉजी या एंथ्रोपोलॉजी से एमए किया हो या फिर आपके पास प्राचीन या मध्यकालीन भारतीय इतिहास में मास्टर डिग्री हो।

एमए में कम-से-कम 55 प्रतिशत अंक होने चाहिए। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, नई दिल्ली और राज्यों में स्थित इसके क्षेत्रीय केंद्र, विभिन्न संग्रहालय, कला दीर्घाएं, एनजीओ व विश्वविद्यालय, विदेश मंत्रालय की हिस्टोरिकल डिवीजन, शिक्षा मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, फिल्म डिवीजन, इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च, भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार आदि जगहों पर इस क्षेत्र में रोजगार के चमकीले अवसर हैं।

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