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करियर की च्वाइस एमबीए या सीए

- राजकुमार सोनी

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कार्य प्रकृति‍ में अंतर :-
सीए और एमबीए में अंतर होता है स्पीड का। सीए का प्रोफेशन चुनने के बाद कोर्स करने और प्रैक्‍टिस करने या किसी के अंडर में काम करने तक का सफर और वहाँ से अपनी पहचान बनने तक आपको धैर्यपूर्वक कुशलता से काम करते जाना होगा। पर वन डे की प्रकृति‍ का मैनेजमेंट का क्षेत्र हाई स्पीड में काम को अंजाम देता है, बल्कि इसमें ग्लैमर और बेस्ट परफॉर्म करने वाले को तुरंत पहचान भी मिलती है। यही कारण है कि एमबीए और सीए के कोर्स को या कि उनके क्षेत्र को एक ही मानदंड पर परखना करियर की दृष्टि से गलत होगा।

रियल डिफरेंस :- सीए व एमबीए छात्र एक ही कंपनी को ज्वाइन कर सकते हैं, पर उनकी जॉब प्रोफाइल काफी अलग होती है। दोनों ही जॉब्‍स समान स्तर की होती हैं, लेकिन जिम्‍मेदारियाँ कुछ अलग तरह की और उसी हिसाब से लाइफ स्टाइल भी अलग तरह की हो जाती है। इसी आधार पर यह भी तय होता है कि कंपनी में आपकी आखिरी मंजिल कौन सी होगी।

सीए के तौर पर ज्वाइन करने के बाद आप कंपनी के सीएफओ यानी चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर की पोस्ट तक पहुँचेंगे। पर जहाँ तक पदानुक्रम का सवाल है, एमबीए का आखिरी पड़ाव होता है सीईओ यानी चीफ एक्‍जीक्‍यूटिव ऑफिसर। अपवाद भी होते हैं, लेकिन उनकी शुरुआत से लेकर आखिरी कहानी भी अलग ही होती है।

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एमबीए क्‍यों? :- मैनेजमेंट कार्यकलापों, गतिविधियों आदि का संतुलित प्रबंधन है। कंपनी के सीईओ का अर्थ होता है वह व्यक्‍ति, जिसके पास कंपनी के लिए एक दृष्टि है, जिसमें कंपनी को लीड करने की क्‍वालिटी है। कई बार तो स्थिति यह होती है कि आपको कंपनी के अधिकतर लोगों के मत के विपरीत रहकर अपनी योजना पर काम चालू रखना होता है।

दरअसल सीईओ के लिए व्यापारिक क्रियाकलापों का केवल एक क्षेत्र ही महत्वपूर्ण नहीं होता। वह हर एक क्षेत्र में अपना दखल रखता है। उसे हर एक विभाग की जानकारी, उस पर पकड़ और उनसे संबंधित योजनाओं में दखल रखना होता है। अगर एमबीए बर्ड्स आई व्यू रखने में ट्रेंड किए जाते हैं, तो सीए को मछली की आँख में निशाना मारने के लिए ट्रेंड किया जाता है। दोनों ही काम चैलेंजिंग हैं, पर काफी अलग तरह के भी हैं।

क्षेत्र बदलना मुश्किल :- एमबीए के बढ़ते क्रेज के साथ ही सीए कर चुके लोग इस फील्ड में आ रहे हैं। पर एमबीए जॉब्‍स के लिए ट्रेंनिग के बिना यह थोड़ा कठिन साबित हो सकता है। यह सच है कि कम्‍युनिकेशन स्किल्स, प्रेजेंटेशन और कस्टमर ओरिएंटेशन के कामों में एमबीए छात्र सीए के छात्र पर भारी पड़ सकते हैं। उन्हें इस बात की विशेष ट्रेनिंग जो दी जाती है।

कुछ जॉब्‍स हैं, जो केवल सीए के डोमेन से संबंधित हैं, जैसे- संवैधानिक व रेगुलेटरी कम्‍प्लाएंस, कंसॉलिडेशन, टैक्‍सेशन, इंटरनेशनल अकाउंटिंग, इंटरनल ऑडिट, सिस्टम ऑडिट, ट्रांजेक्‍शन एडवाइजरी जैसे क्षेत्रों से संबंधित कार्यों में सीए को प्रवीणता हासिल होती है। इसके अलावा एमआईएस, बजटिंग फोरकास्टिंग, बिजनेस प्लानिंग, इक्‍विटी रिसर्च, ट्रेजरी, इन्वेस्टमेंट बैंकिंग, मर्जर्स व एक्‍वीजिशंस, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट, फंड मैनेजमेंट, सेक्‍टर एनालिसिस के काम सीए व एमबीए दोनों के लिए ही खुले हैं।

सीए+एमबीए कॉम्‍बिनेशन कैसा है :- क्‍या सीए के साथ एमबीए करने पर करियर को नई धार मिलती है? यह सच है कि आज के दौर में डबल डिग्री से लाभ ही होते हैं, पर कुछ विशिष्ट डिग्रियों का कॉम्‍बिनेशन ही सफलता का फॉर्मूला नहीं हो सकता है।

सीए प्रोफेशन अपनाने का कारण पूछने पर अधिकतर छात्रों ने यही बताया कि कॉमर्स के क्षेत्र में उनके या तो बड़े भाई हैं या कि पिता जी का यही प्रोफेशन है, जिसे वह आगे बढ़ाना चाहते हैं। चूँकि कई युवाओं को सिर्फ प्रोफेशनल क्‍वालिफिकेशन चाहिए रहती है, इसलिए वे सीए का कोर्स कर लेते हैं।

एमबीए में अगर आप टॉप के दस संस्थानों में अपनी जगह नहीं बना पाते हैं, तो अगले दस संस्थानों में आने की आशा रहती है। मतलब यह है कि न तो सीए का कोर्स बुरा है, न ही एमबीए का। आपके व्यक्‍तित्व और लक्ष्य के अनुसार इन दोनों प्रोफेशंनस में से कोई एक चुनिए। क्‍योंकि हवा चाहे किसी भी फील्ड की जोरों पर हो, करियर आपका होगा, जिसके लिए आपको ही काम करना है।

अगर आपने करियर किसी की देखादेखी चुन लिया है, तो यह लंबे समय तक चल पाना कठिन होगा। प्रोफेशनल डिग्री के तौर पर दोनों कोर्सेस का पलड़ा बराबर बैठता है। बस अंतर है, तो कार्यप्रकृति‍ और कार्यदायित्वों का। यहीं पर आकर आपको फैसला सोच-समझकर करना होगा। आखिर करियर का सवाल है।

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