डेयरी टेक्नोलॉजी पर आधारित कोर्स
डेयरी टेक्नोलॉजी पर आधारित प्रमुख कोर्स में बी टेक (डेयरी टेक्नोलॉजी) का नाम लिया जा सकता है। 10+2 के बाद उपलब्ध चार वर्षीय इस विशेष इंजीनियरिंग कोर्स में डेयरी संयंत्रों का आधुनिकीकरण, ऑटोमैटिक डेयरी उपकरणों का अधिकाधिक प्रयोग तथा इस उद्योग की भावी आवश्यकताओं के अनुरूप ट्रेंड लोगों को तैयार करने के लिए मानव संसाधन विकसित करने सरीखे लक्ष्य रेखांकित किए गए हैं।नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टिट्यूट, करनाल से इस बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त की जा सकती है। दाखिले अखिल भारतीय स्तर की चयन परीक्षा के आधार पर दिए जाते हैं। इसके अलावा इंदिरा गाँधी नेशनल ओपन यूनीवर्सिटी (दिल्ली) द्वारा भी डेयरी फार्म मैनेजमेंट, एनीमल हैल्थकेयर, मिल्क प्रोडक्शन इत्यादि से संबंधित कोर्सेज आयोजित किए जाते हैं। ये समस्त ट्रेनिंग पाठ्यक्रम ओपन प्रणाली से हैं। कई अन्य विश्वविद्यालय डिप्लोमा कोर्स भी संचालित करते हैं। रोजगार के अवसर मिल्क फेडरेशन, मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट्स नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड, मिल्क को-ऑपरेटिव, अमूल के अलावा मिल्क प्रोडक्ट्स को-प्रोसेसिंग करने वाली इकाइयों में होती है। इतना ही नहीं, स्वतंत्र कंसलटेंट के रूप में भी ये अपनी सेवाएँ विभिन्न संगठनों को प्रदान कर सकते हैं। इसके अलावा इस प्रकार की ट्रेनिंग के आधार पर स्माल स्केल डेयरी फार्म एवं मिल्क प्लांट्स, क्रीमरी तथा आइसक्रीम की यूनिट भी स्वरोजगार के तौर पर लगाई जा सकती हैं।मास्टर्स और डॉक्टोरेट डिग्रियों के सहारे इस क्षेत्र में अध्यापन के बारे में भी सोचा जा सकता है। ऐसे युवा जो शहर की भाग-दौड़ और प्रदूषण युक्त जिंदगी से दूर किसी ग्रामीण एवं प्राकृतिक, नैसर्गिक सुंदरता से भरपूर स्थान पर जीवन बिताना चाहते हैं उनके लिए डेयरी फार्म एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इसके अलावा आइसक्रीम अथवा मिल्क चॉकलेट या प्रोसेस फूड प्रोडक्ट्स निर्माता कंपनियों में भी बेहतरीन रोजगार के अवसर तलाशे जा सकते हैं।डेयरी उद्योग वर्ष 2011 तक 5,20,780 करोड़ रुपए तक पहुँच जाएगातरल दूध का कारोबार 1,59,600 करोड़ रुपए का होगाघी का कारोबार 42,680 करोड़ रुपए होगाखोया, पनीर और छैना का कारोबार 50,000 करोड़ रुपएकेवल बटर का कारोबार 3,250 करोड़ रुपएचीज और खाद्य कैसीन का हिस्सा 6,150 करोड़ रुपए का होगाशेष 20,000 करोड़ रुपए में अन्य प्रोसेस्ड मिल्क प्रोडक्ट्स शामिल